नरसिम्हा राव की आलोचना कर विवादों में घिर गए थे पूर्व PM मनमोहन सिंह
नरसिम्हा राव की आलोचना कर विवादों में घिर गए थे पूर्व PM मनमोहन सिंह
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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म आज ही के दिन यानी 26 सितंबर 1932 को हिंदुस्तान के विभाजन से पहले पाक के पंजाब प्रांत में हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई पूरी की और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल कर ली। जिसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय के साथ-साथ दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और दिल्ली विश्वविद्यालय में टीचर के पद पर काम किया।

2004-2014 के मध्य गठबंधन सरकार चलाने वाले दिग्गज कांग्रेसी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह आज 89 वर्ष के हो चुके है। पीएम बनने से पूर्व, उनका सबसे उज्ज्वल क्षण 1991 में नरसिम्हा राव सरकार के अंतर्गत आर्थिक सुधारों में था। वह नरसिम्हा राव के वित्त मंत्री थे। वर्ष 1991 के बजट में एक के उपरांत एक आधुनिक हिन्दुस्तान और देश में आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के रोडमैप की नींव भी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ही रखी। हालांकि, मनमोहन सिंह कभी अपने बॉस पीवी नरसिम्हा राव के साथ क्रेडिट शेयर करने तक ने नहीं कतराये।

आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के बारे में और नरसिम्हा राव के बारे में मनमोहन सिंह ने बयान देते हुए कहा था कि "यह एक कठिन विकल्प और एक साहसिक फैसला था और यह संभव था क्योंकि  पीएम नरसिम्हा राव ने मुझे चीजों को रोल करने की आजादी दी थी, क्योंकि उन्होंने उस वक़्त भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में पूरी तरह से समझा था।" इतना ही नहीं कुछ समय पहले यानी कि वर्ष 2019  पीवी नरसिम्हा राव के पोते ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के उस बयान की निंदा की थी जिसमें उन्होंने बोला था कि 1984 के सिख विरोधी दंगों को रोका जा सकता था यदि राव ने सेना को आने का आदेश दिया होता. राव के पोते एन वी सुभाष ने बोला था कि पूर्व पीएम को यह ज्ञात होना चाहिए कि ऐसे फैसले कैबिनेट लेती है. बीजेपी नेता सुभाष ने इस बात पर कहा था कि  ‘डॉ मनमोहन सिंह को यह पता होना चाहिए कि गृह मंत्री अकेले फैसले नहीं ले सकते. सेना को लाने का फैसला पूरी कैबिनेट मिलकर लेती है.' उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए यह भी कहा था  कि मनमोहन सिंह को यह भी  मालूम होना चाहिए कि तत्कालीन गृह मंत्री को व्यक्तिगत तौर पर कोई निर्देश नहीं देने के लिए बोला गया था क्योंकि PMO खुद मामले को देख रहा था.

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