भूख हड़ताल पर भूतपूर्व सैनिक, खून से हस्ताक्षर कर लिखी अर्जी
भूख हड़ताल पर भूतपूर्व सैनिक, खून से हस्ताक्षर कर लिखी अर्जी
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नई दिल्ली : वन-रैंक-वन-पेंशन (ओआरओपी) व्यवस्था लागू होने में हो रही देरी से गुस्साए पूर्व सैनिकों ने रविवार को यहां जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने एक अर्जी तैयार की है और उस पर खून से हस्ताक्षर किए हैं। उनका कहना है कि वे अर्जी के साथ राष्ट्रपति से मिलेंगे और अपने वीरता पदक वापस करेंगे। पूर्व सैनिक अब सोमवार से सेवानिवृत्त कर्नल एम.बी. आहलुवालिया के नेतृत्व में भूख हड़ताल करेंगे। इस भूख हड़ताल में 50 और पूर्व सैनिकों के शामिल होने की संभावना है। वहीं सैकड़ों लोग इस प्रदर्शन का हिस्सा बनेंगे। प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिकों का एक दल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलने के लिए राष्ट्रपति भवन गया था, लेकिन वे (प्रदर्शनकारी पूर्व सैनिक) उनसे मिलने में विफल रहे। ज्ञात हो कि राष्ट्रपति तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर हैं। राष्ट्रपति भवन गए 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की सदस्य सुजाता सिंह ने कहा, "हम अर्जी के साथ राष्ट्रपति भवन गए थे, लेकिन हमें बताया गया कि राष्ट्रपति शिमला गए हुए हैं।"

सुजाता 1965 की लड़ाई के सिपाही उमराव सिंह (सेवानिवृत्त) की बेटी हैं। प्रतिनिधिमंडल ने अपनी अर्जी और लगभग 1500 वीरता पदक राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों को सौंपे। मेजर विजय शर्मा (सेवानिवृत्त) ने आईएएनएस को बताया, "हमने पहले भी 22,000 मेडल लौटाए हैं, लेकिन राष्ट्रपति ने उसे नहीं स्वीकारा।" 1971 की लड़ाई लड़ने वाले कर्नल यू.बी. सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह सरकार के खिलाफ प्रदर्शन नहीं है, बल्कि सिर्फ अपनी भावना जाहिर करने की कोशिश है। उन्होंने कहा, "हम सरकार के खिलाफ प्रदर्शन नहीं कर रहे। हम सिर्फ अपनी भावना जाहिर कर रहे हैं।"

पूर्व सैनिकों के संगठन युनाइटेड एक्स-सर्विसमेन ऑफ इंडिया के मुताबिक, देशभर के 55 केंद्रों पर प्रदर्शन किए जा रहे हैं। जम्मू, जालंधर, अंबाला, तिरुवनंतपुरम, मदुरै, मुंबई, विशाखापट्टम, हैदराबाद, सिंकदराबाद, बेंगलुरू, कोलकाता, भुवनेश्वर, अहमदाबाद, सूरत, वड़ोदरा, पुणे, नाशिक, चांदीपुर, नागपुर, भोपाल, मेरठ, तेलंगाना, चेन्नई, जयपुर, नागौर, अलवर और कोटा सहित अन्य स्थानों पर प्रदर्शन किए जा रहे हैं। पूर्व सैनिकों ने कहा कि उन्होंने सोमवार से अनशन पर जाने की भी तैयारी कर ली है। ओआरओपी लागू होने से एक ही रैंक के सभी सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों और जवानों को समान पेंशन मिलेगा। ओआरओपी से रक्षा विभाग के 25 लाख पूर्व सैनिकों और मृत सैन्यकर्मियों की पत्नियों को फायदा होने की उम्मीद है।

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