92 देशों में किया जाता है महिलाओं का खतना, जानिए क्या है इस कुप्रथा का कारण
92 देशों में किया जाता है महिलाओं का खतना, जानिए क्या है इस कुप्रथा का कारण
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नई दिल्ली: परंपरा के नाम पर विश्व में धर्म-मजहब के नाम पर कई ऐसी मान्यताओं का पालन किया जाता है, जो क्रूर तो हैं ही, साथ ही इससे किसी की जान भी जा सकती है। कुछ इतनी दर्दनाक होती हैं कि उसके बारे में सुनकर ही लोगों की रूह कांप जाती है। ऐसी ही एक कुप्रथा महिलाओं से जुड़ी हुई है। आपने इस्लाम में पुरुषों का खतना करने की प्रथा के बारे में तो अवश्य सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस्लाम और ईसाई धर्म के कुछ वर्ग में पुरुषों की ही तरह महिलाओं (genital mutilation of women) का भी खतना किया जाता है। 

महिलाओं के जननांगों (Private Part) को काटने की इस प्रथा को फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (female genital mutilation) या FGM कहा जाता है। सामान्य भाषा में इसे महिलाओं का खतना कहा जाता है। मजहब के नाम पर की जाने वाली इस दर्दनाक प्रक्रिया में महिला के निजी अंग के बाहरी हिस्से, को ब्लेड या किसी धारदार औजार से काट दिया जाता हैं। सबसे अधिक दर्दनाक और हैरान करने वाली बात तो ये है कि इस पूरी प्रक्रिया को बिना लड़कियों को बेहोश किए ही किया जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, जो भी प्रक्रिया बगैर किसी चिकित्सकीय कारणों के महिलाओं के प्राइवेट पार्ट्स को नुकसान पहुंचाए और उसमें बदलाव करे, उसे FGM की ही श्रेणी में ही गिना जाता है। हालांकि, काफी लोगों का दावा है कि इस प्रथा से सेहत को फायदा मिलता है, लेकिन ये पूरी तरह से गलत और निराधार बात है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये कुप्रथा दुनियाभर के 92 से अधिक देशों में आज भी बदस्तूर जारी है। इन देशों में 51 में इस प्रथा को कानूनी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिसमें भारत भी शामिल है। रिपोर्ट बताती हैं कि, इस्लामी मुल्क मिस्र (Egypt) में महिलाओं के खतने से जुड़े सबसे अधिक मामले सामने आते हैं। माना जाता है कि ये कुप्रथा अफ्रीकी देशों में प्रचलित है, लेकिन ये दर्दनाक परंपरा एशिया, मध्य पूर्व, लैटिन अमेरिका, यूरोप, यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में भी पालन की जाती है। भारत में यह प्रथा बोहरा समुदाय और केरल के एक सुन्नी मुस्लिम समुदाय में प्रमुख रूप से होती है।

इस कुप्रथा को लेकर सवाल ये उठता है कि यदि ये प्रथा इतनी दर्दनाक और भयावह है, तो लोग क्यों इसका पालन करते हैं। दरअसल, ये एक अंधविश्वास का परिणाम है, जो वर्षों पुराना है। शिशु अवस्था से 15 वर्षों तक की बच्चियों का खतना महज इसलिए किया जाता है, ताकि उनकी यौन इच्छाएं पूरी तरह दब जाएं और विवाह से पहले वो ऐसी किसी भी भावना को महसूस न कर सकें, जिससे वो ‘अशुद्ध’ हो जाएं। यही कारण है कि निजी अंग के बाहरी हिस्सों में शामिल क्लिटोरिस (Clitoris) को भी काट दिया जाता है, जो महिलाओं का सबसे अधिक उत्तेजित करने वाला अंग माना जाता है। यही नहीं, कई बार तो योनि को सील भी दिया जाता है

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