आज के दिन शिवाजी ने रखी थी मराठा साम्राज्य की नींव
आज के दिन शिवाजी ने रखी थी मराठा साम्राज्य की नींव
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मुंबई। हिंदू पदपादशाही के समर्थक और स्वराज की स्थापना करने वाले मराठा साम्राज्य के छत्रपति महाराज शिवाजी ने 6 जून 1674 में ही रायगढ़ मेें मराठा साम्राज्य का प्रारंभ किया था। शिवाजी का राज्याभिषेक आज ही के दिन हुआ था। शिवाजी का युद्ध विदेशी आक्रांताओं से हुआ था। उस दौर में मुगलों ने भारत के विभिन्न भागों पर आक्रमण किया हुआ था। उन्होंने महाराष्ट्र में भी आक्रमण किए थे और कुछ क्षेत्रों को अपने अधीन किया था। शिवाजी ने ऐसे समय में मराठा सैनिकों को संगठित किया था जब उनका बल बंटा हुआ था।

मुगल सरदार अफजल खान के साथ शिवाजी की भेंट और उसमें अफजल खान को मारने की घटना इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है। अफजल खान मुगलों में एक कुशल लड़ाका था। उसकी कद काठी भी बहुत मजबूत थी। उसकी हाईट शिवाजी से अधिक थी और डील डौल में भी वह शिवाजी से अधिक शक्तिशाली जान पड़ता था लेकिन इसके बाद भी वे अफलज की चाल में नहीं उलझे। जैसे ही अफजल खान ने उन्हें गले लगाया और फिर उन पर वार करने को हुआ उन्होंने अपने पंजें में धारण किए बाघ नख से उसका पेट चीर दिया। दरअसल बीजापुर के सुल्तान और मराठाों के बीच लड़ाई चल रही थी।

ऐसे में आदिल शाह की मां ने मराठों पर कब्जा करने हेतु अफजल खान को भेज दिया। शिवाजी महाराज और अफजल खान की भेेंट प्रतापगढ़ के समीप शामियाने में हुई थी। अफजल खान ने जैसे ही गले लगने के दौरान चाकू निकालकर उसे शिवाजी की पीठ में घोंपने का प्रयास किया शिवाजी ने बाघ नख से उसका पेट फाड़ दिया। शिवाजी के साथ कुछ मराठा सरदार और सैनिक थे। उन्होंने अफजल के सैनिकों द्वारा वार किए जाने पर उनके वार का जवाब दिया। शिवाजी की सेना में कई मुस्लिम भी थे वे शिवाजी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ा करते थे।

उन्हें शिवाजी की युद्ध नीति और राजकौशल बहुत पसंद आता था। उस जमाने में मंदिर के नीचे तल घर में धन रखा जाता था। अफजल खान की फौज ने मंदिर ही नहीं कई मस्जिदों को भी अपना निशाना बनाया।शिवाजी महाराज की फौज में कई मुसलमान सरदार थे उसी तरह आदिल शाह के पास भी मिर्जा राजा जयसिंह जैसे हिंदू सरदार थे।कई बार अफजल खान को शिवाजी ने दिया चकमा अफजल खान जब शिवाजी से मिलने महाराष्ट्र आया तब उसकी फौज में एक लाख सैनिक थे।

शिवाजी को पता था कि युद्ध में वे अफजल खान की फौज के सामने टिक नहीं पाएंगे। उन्होंने फौज का चालाकी से मुकाबला करने का निर्णय लिया।शिवाजी महाराज ने अफजल खान को संदेश भेजकर कहा कि मैं आपकी फौज के साथ युद्ध नहीं कर सकताए मेरे पास इतनी बड़ी फौज नहीं है।

जब खान ने उन्हों दो बार मिलने के लिए बुलाया तो शिवाजी ने बहाना बनाकर उस बात को टाल दिया। इससे खान को विश्वास हो गया कि शिवाजी महाराज उससे घबरा रहे हैं। अफजल खान को सम्मान के साथ दफनायाशामियाने से भागे अफजल खान को शिवाजी महाराज ने दौड़ कर पकड़ा और युद्ध क्षेत्र में उसका वध किया। वध के बाद शिवाजी महाराज उसका सिर मां जीजाबाई के पास ले गए। मां ने शिवाजी से कहा कि अफजल खान से हमारी दुश्मनी थीए लेकिन उसकी मौत केसाथ ही अब दुश्मनी भी खत्म हो गई।जिसके बाद शिवाजी ने अफजल खान के शव का पूरे सम्मान के साथ मुस्लिम परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार किया।

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