कर्ज में दबा पंजाब ! अर्थशास्त्रियों ने कहा - जनता से चंदा लो, दूसरे सियासी दलों से मदद मांगो
कर्ज में दबा पंजाब ! अर्थशास्त्रियों ने कहा - जनता से चंदा लो, दूसरे सियासी दलों से मदद मांगो
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अमृतसर: कभी भारत का सबसे धनी राज्य रहा पंजाब आज सरकारों की ख़राब नीतियों की वजह से गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। अर्थशास्त्री लखविंदर सिंह, सुखविंदर सिंह और केसर सिंह भंगू ने राज्य की इस हालत को देखते हुए पंजाब सरकार को पत्र लिखते हुए एक ऋण राहत कोष (DRF) बनाने का सुझाव दिया है। इसके साथ ही अर्थशास्त्रियों ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को कर्ज के जाल से बाहर निकालने के लिए सार्वजनिक चंदा माँगने की हिदायत भी दी है। 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अर्थशास्त्री लखविंदर सिंह, नई दिल्ली में मानव विकास संस्थान (IHD) में विजिटिंग प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। वहीं, सुखविंदर सिंह चंडीगढ़ में पंजाब वित्त आयोग के पूर्व प्रोफेसर और सलाहकार हैं और केसर सिंह भंगू पंजाब विश्विद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रह चुके हैं। यानी इन तीनों ही दिग्गजों को अर्थव्यवस्था और इससे सम्बंधित नीतियों का अच्छा ज्ञान है। इन तीनों अर्थशास्त्रियों ने 11 फरवरी 2023 को ‘Fiscal Policy Under Siege: Strategy for Making Punjab Debt Free’ शीर्षक से की गई एक रिसर्च में पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार को कर्ज के दलदल से बाहर निकलने के लिए सलाह दी है। रिपोर्ट में भगवंत मान सरकार को राज्य के अन्य सियासी दलों से मदद लेने और केंद्र से राहत पैकेज के लिए जोर देने को कहा गया है।

अर्थशास्त्रियों ने अपने पत्र में लिखा है कि, 'हम सरकार को सुझाव देते हैं कि कई मौजूद विकल्पों में से एक ऋण राहत कोष स्थापित करना और पंजाब से संबंधित लोगों से इसमें पैसा देने का आग्रह करना है। इस कोष का इस्तेमाल सिर्फ पंजाब के कर्ज के बोझ को कम करने के लिए किया जाएगा। पूरे विश्व में पंजाबी स्वभाव से मददगार होते हैं और दान देने के लिए जाने जाते हैं। पंजाबियों की यह सांस्कृतिक विशेषता कर्ज से निपटने में अत्यंत सहायक साबित होगी।' इकनोमिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि बीते 3 वर्षों के दौरान राज्य सरकार ने प्रति वर्ष लगभग 35,201.87 करोड़ रुपए का ऋण लिया। इस​के लिए वह 18,209.8 करोड़ रुपए का ब्याज भरती है, साथ ही, मूल राशि को कवर करने के लिए 14,257.98 करोड़ रुपए समेत कुल 32,467.78 करोड़ रुपए का भुगतान, राज्य सरकार को करना पड़ता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब सरकार की राजकोषीय रणनीति ध्वस्त हो चुकी है। पंजाब में नए पूँजी निवेश करने की क्षमता का अभाव है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आँकड़ों के मुताबिक, पंजाब सरकारों द्वारा अलग-अलग स्रोतों से उधार ली गई राशि इसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 53.3 फीसद है। अर्थशास्त्रियों ने बताया है कि वित्त वर्ष 2015-16 में 22.85 फीसद और वित्त वर्ष 2016-17 में 40.80 फीसद की दर से राज्य पर ऋण बढ़ना शुरू हुआ। यह चिंताजनक था और यह तब से ही निरंतर बढ़ रहा है और हर साल औसतन 9 फीसद से अधिक की दर से बढ़ रहा है। मौजूदा सरकार (बागवंत मान सरकार) भी पूर्व सरकारों की तरह ही ऋण ले रही है।

अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि सरकार मौजूदा दायित्वों, सरकारी क्षेत्र में नौकरियों का वादा, हस्तांतरण भुगतान और सब्सिडी के वादों के चलते  राजस्व के जरूरी स्तर को बढ़ाए बगैर खर्च बढ़ाएगी। अर्थशास्त्रियों ने दोहराया कि सरकार को निकट भविष्य में कर्ज के बोझ को आधा करने के लिए व्यावहारिक समाधान खोजने के लिए एक पैनल गठित करना चाहिए और इसके जरिए पंजाब को कर्ज के जाल से मुक्त करने पर ध्यान देना चाहिए। अर्थशास्त्रियों ने सरकार को यह भी सलाह दी कि बढ़ते ऋण के बोझ को फ़ौरन दूर करने के लिए सरकार बॉण्ड जारी कर सकती है। साथ ही पंजाब के जाने-माने बुद्धिजीवियों, अन्य सियासी दलों के नेताओं से मदद ले सकती है और राहत पैकेज के लिए इस मुद्दे (कर्ज के) को केंद्र सरकार के समक्ष ला सकती है। उन्होंने बताया कि, वर्ष 2022-2023 के लिए 12,553.80 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे के अनुमान की तुलना में मौजूदा सरकार (AAP सरकार) के अपने शासन के शुरूआती 9 महीनों में ही राजस्व घाटे को 15,348.55 करोड़ रुपए तक पहुँचा दिया है।

बता दें कि सत्ता में आने के बाद से अब तक, 11 महीनों में AAP सरकार 35,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का ऋण ले चुकी है। बिजली पर सब्सिडी देने के चलते इस वित्त वर्ष में राज्य के खजाने से 22,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान जताया गया है। इसलिए पंजाब को अपने कर्मचारियों के गत माह के वेतन का भुगतान करने के लिए 500 करोड़ रुपए का कर्ज लेना पड़ा। पंजाब सरकार द्वारा राज्य के लोगों को 300 यूनिट फ्री बिजली देने के बाद से स्थिति और बिगड़ गई है। राज्य सरकार अपने चुनावी वादे के मुताबिक, अभी तक महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा पर भी निर्णय नहीं ले पाई है। इस आर्थिक तंगी के बावजूद पंजाब की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री डॉ. बलजीत कौर महिलाओं को 1,000 रुपए हर महीने देने का वादा कर रही हैं। यह वादा AAP ने पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान किया था। हालाँकि, राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए AAP के लिए इन वादों को पूरा करना बेहद मुश्किल नज़र आ रहा है। 

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