काठमांडू : नेपाल समय-समय पर भारत के खिलाफ अपने वक्तव्यों में बदलाव लाता रहता है। एक बार फिर नेपाली पीएम के पी ओली ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण भारत को आखिरकार झुकना पड़ा। नेपाल के प्रति अपनी नीतियों में बदलाव करने के कारण ही महीनों से चला आ रहा मधेशी आंदोलन धीमा पड़ गया।
बता दें कि नेपाल में नई सरकार के गठन के बाद से ही मधेशी नए संविधान में अफने लिए पर्याप्त अधिकारों की मांग कर रहे थे। जिसके विरोध स्वरुप उन्होने नेपाल-भारत के बीच होने वाले व्यापार के सभी रास्ते अवरुद्ध कर दिए थे। ओली से जब पूछा गया कि क्या भारत ने अपनी नीति बदली है, तो इसके जवाब में ओली ने कहा कि वो भारत की नीति नहीं बदल सकते।
दूसरी ओर ब्रसल्ज बेस्ड इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप का कहना है कि यदि नेपाल ने संविधान से जुड़े असंतोष का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला, तो एक बार फिर से हिंसक आंदोलन भड़क सकता है। सीपीएन और यूएमएल की पोलित ब्यूरो की बैठक के दौरान 12 पन्नों के राजनीतिक दस्तावेज पेश करते हुए ओली ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय नेपाल के प्रति भारत के रवैए को लेकर आलोचनात्मक था और उसने दबाव बनाया।
इसलिए भारत ने अपनी नीतियों में बदलाव किया, क्यों कि वो मधेशियों का समर्थन करना जारी नहीं रख सकता था। नेपाली मधेशी मूल रुप से भारतीय समुदाय के है। पिछले साल सितंबर से मधेशियों ने हिंसक आंदोलन शुरु किया था। यह आंदोल न 6 माह तक चला था, जिसमें 60 लोगों की जानों गई थी और नेपाल में जरुरी सामानों की भारी किल्लत हो गई थी।