'हमें प्रदर्शन करने के लिए मजबूर न करें..', CJI को सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष की तल्ख चिट्ठी
'हमें प्रदर्शन करने के लिए मजबूर न करें..', CJI को सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष की तल्ख चिट्ठी
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के सदस्यों के जीवन और आजीविका से संबंधित एक मामले की लिस्टिंग के संबंध में पत्र लिखा है। वकील विकास सिंह ने कहा है कि हमारे साथ भी सामान्य याचिकाकर्ताओं जैसा बर्ताव किया जा रहा है और भेदभाव किया जा रहा है। जिस प्रकार की प्राथमिकता मिलनी चाहिए, वैसी नहीं मिल रही है।

वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने CJI चंद्रचूड़ को लिखे अपने पत्र में कहा है कि ‘हमारे साथ जिस प्रकार का पक्षपात किया जा रहा है, उम्मीद है कि ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो जाए कि हमें अपनी मांग के लिए प्रदर्शन का सहारा लेना पड़े।' विकास सिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि शीर्ष अदालत में हमेशा से यही प्रैक्टिस रही है कि किसी भी दिन लिस्टेड केस को उसी दिन सुना जाता है और सामान्य मामलों को उस दिन लिस्टेड मामलों पर प्राथमिकता देकर सुनवाई नहीं होती है। जो मामले लिस्ट में होते हैं, कई दफा उसके याचिकाकर्ता बहुत दूर या दूसरे शहरों से आते हैं, वकीलों को भी काफी तैयारी करनी पड़ती है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एडवोकेट विकास सिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि ‘एक वकील के जीवन में उसका चेंबर बेहद अहम भूमिका निभाता है। पूर्व प्रधान न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना के कार्यकाल में ही निर्धारित जमीन पर चैंबर्स का 40 फीसद साइट प्लान तैयार हो गया था। वह खुद चेंबर ब्लॉक की नींव रखना चाहते थे। शीर्ष अदालत के सबसे करीब यही आखिरी खाली जमीन है। बार काउंसिल ने रिट पिटिशन इसलिये दाखिल की थी, ताकि पूरे 1.33 एकड़ भूमि पर चैंबर्स का निर्माण किया जा सके। इस मामले में देरी से वकीलों और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों की आजीविका पर असर पड़ रहा है।'

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की है और शहरी विकास मंत्रालय को यह आदेश देने की मांग की है कि वह शीर्ष अदालत के पीछे स्थित 1.33 एकड़ जमीन को सर्वोच्च न्यायालय के वकीलों का चेंबर बनाने के लिए आवंटित करने का आदेश दे। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने 12 सितंबर 2022 को मंत्रालय को नोटिस जारी किया था और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 3 नवंबर मुक़र्रर की थी। 

हालांकि बाद में मामला 21 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया था और उस दिन भी सुनवाई नहीं हुई थी। मामले की अगली तारीख 9 जनवरी 2023 की थी, मगर उस दिन बेच 4.30 बजे ही उठ गई थी और मामले की सुनवाई नहीं हो सकी थी। 10 जनवरी को दोबारा मामला मेंशन हुआ, मगर सुनवाई के लिए कोई तारीख नहीं मिली थी। वकील विकास सिंह ने 10 जनवरी को भी CJI चंद्रचूड़ के समक्ष इस मामले को उठाया था। बाद में CJI चंद्रचूड़ ने एडवोकेट विकास सिंह की प्रतिक्रिया पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि हमारी अदालत में हम जैसा नियम बनाएंगे, वहीं प्रैक्टिस होगी, कोई हमें डिक्टेट करने का प्रयास ना करें।  

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