आई फ्लू के दौरान भूलकर भी ना करें ये गलतियां, जा सकती है आंखों की रोशनी, डॉक्टर्स ने दी चेतावनी
आई फ्लू के दौरान भूलकर भी ना करें ये गलतियां, जा सकती है आंखों की रोशनी, डॉक्टर्स ने दी चेतावनी
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नई दिल्ली: भारत के अलग-अलग प्रदेशों में आई-फ्लू तेजी से फैल रहा है। अधिकतर लोग इस संक्रमण से परेशान हो रहे हैं। मानसून के चलते  हवा में नमी बढ़ जाती है, जिसके कारण बैक्टीरिया एवं वायरस जल्दी पनपते हैं। बरसात के दिनों में आई-फ्लू होना कॉमन है, निरंतर बढ़ रहे कंजंक्टिवाइटिस के मामलों के कारण अब चिंता बढ़ गई है। आई फ्लू से बचाव के लिए लोग आई ड्रॉप का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में चिकित्सकों ने आंखों के उपचार के लिए स्टेरॉयड के उपयोग के खिलाफ चेतावनी दे दी है। 

आई फ्लू से निपटने के लिए लोग आई ड्रॉप का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि, प्राप्त एक रिपोर्ट के अनुसार, एम्स के डॉ.जेएस टिटियाल ने कहा कि आंखों में स्टेरॉयड वाली आई ड्रॉप डालने के दो सप्ताह बाद कॉर्निया पर धब्बे होने और आंखों का दबाव बढ़ने का खतरा रहता है। यही कारण है कि एम्स ने अपने उपचार प्रोटोकॉल में स्टेरॉयड को सम्मिलित नहीं किया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि स्टेरॉयड देने से मरीजों को जल्द राहत तो मिल जाती है मगर बाद में आंखें खराब होने और रोशनी कमजोर होने का खतरा होता है। चिकित्सक का कहना है कि एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग भी सही तरीके से किया जाना चाहिए। डॉ. राजेंद्र ने कहा कि यदि एक ही परिवार में आई फ्लू के एक से अधिक लोग प्रभावित हैं तो एक ही आई ड्रॉप न डालें। ऐसा करने पर क्रॉस-संक्रमण का खतरा होता है। इसे फैलने से रोकने के लिए चिकित्सक ने सलाह दी है कि सभी संक्रमित व्यक्ति को अलग-अलग आई ड्रॉप का उपयोग करना चाहिए। 

कैसे फैलता है कंजक्टिवाइटिस? 
कंजक्टिवाइटिस कुछ मामलों में बेहद संक्रामक हो सकता है तथा पहले से ही संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। बीमारी फैलने का सबसे आम तरीका यह है कि जब संक्रमित लोग बार-बार अपनी आंखों को छूते हैं तथा अपने हाथों को साफ करना भूल जाते हैं। किसी व्यक्त‍ि को अगर कंजक्ट‍िवाइटिस बीमारी हो गई है तो उसकी आंखों में न देखें और न ही उसका रुमाल, तौलिया, टॉयलेट की टोंटी, दरवाजे का हैंडल, मोबाइल आदि छूने से बचें।

कंजक्टिवाइटिस के लक्षण:-
चिकित्सको के अनुसार, कंजक्टिवाइटिस के लक्षण नजर आते ही नेत्र रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। इसके सामान्य लक्षणों में आंखें लाल होना, खुजली, आंसू आना सम्मिलित हैं। आंखों के आसपास डिस्चार्ज या पपड़ी भी हो सकती है। यदि डॉक्टर को लगता है कि यह कंजक्टिवाइटिस ही है तो वह डॉक्टर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप लिख सकते हैं। 
आँखों का लाल होना: आई फ्लू के प्राथमिक लक्षणों में से एक प्रभावित आँखों का लाल होना है। कंजंक्टिवा सूज जाता है और रक्त वाहिकाओं से भर जाता है, जिससे आंख गुलाबी या लाल रंग की दिखने लगती है।
खुजली और जलन: संक्रमित व्यक्तियों को आंखों में खुजली, जलन और जलन का अनुभव हो सकता है। इसे आगे फैलने से रोकने के लिए आंखों को रगड़ने की इच्छा से बचना चाहिए।
पानी जैसा स्राव: आई फ्लू के कारण अक्सर आंखों से पानी या चिपचिपा स्राव होता है। यह स्राव पलकों के आसपास पपड़ी जमने का कारण बन सकता है, खासकर सोने के बाद।
प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता: आई फ्लू से पीड़ित व्यक्ति प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं, जिससे तेज रोशनी वाले वातावरण में असुविधा हो सकती है।
अनुभूति: सूजन के कारण कुछ लोगों को ऐसा महसूस हो सकता है जैसे कि उनकी आँखों में कोई वस्तु, जैसे रेत या कण, है।

निवारक उपाय:-
आई फ्लू से बचाव के लिए अच्छी व्यक्तिगत स्वच्छता अपनाना आवश्यक है। अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोएं, खासकर अपनी आंखों को छूने के बाद या किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद जिसे कंजंक्टिवाइटिस है।
अपनी आंखों को छूने या रगड़ने से बचें, क्योंकि इससे संक्रामक एजेंट आपके हाथों से आंखों में स्थानांतरित हो सकते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
सुनिश्चित करें कि संचरण के जोखिम को कम करने के लिए दरवाज़े के हैंडल, कंप्यूटर कीबोर्ड और स्मार्टफोन जैसी सतहों को नियमित रूप से साफ और कीटाणुरहित रखा जाए।
संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए तौलिये, रूमाल  या आई ड्रॉप को दूसरों के साथ साझा करने से बचें।
यदि आपके आस-पास किसी को आई फ्लू है, तो संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए सुरक्षित दूरी बनाए रखें।
भारी बारिश के दौरान, बारिश के पानी के संपर्क को कम करने के लिए जितना संभव हो सके घर के अंदर रहने की कोशिश करें, जिसमें हानिकारक प्रदूषक और एलर्जी हो सकते हैं।
यदि आपको मानसून के दौरान बाहर जाने की आवश्यकता है, तो अपनी आंखों को धूल, एलर्जी और बारिश के छींटों से बचाने के लिए धूप का चश्मा जैसे सुरक्षात्मक चश्मे पहनने पर विचार करें।

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