पेरिस : यूएन द्वारा पेरिस में आयोजित किए गए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन को लेकर भारत ने महत्वपूर्ण बात कही है। जिसमें भारत की ओर से केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की भारत के महत्व की योजनाओं को शामिल नहीं किया गया। भारत द्वारा कहा गया कि विकसित देशों द्वारा अपनी प्रतिबद्धताऐं पूर्ण नहीं की गई हैं अर्थात् वित्तीय सहायता बढ़ाने में उन्हें किसी तरह का संकेत नहीं दिया गया है। दूसरी ओर उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में किसी तरह का रोडमैप भी पेश नहीं किया गया।
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा कहा गया कि उन्हें इस बात पर ध्यान देना होगा कि राष्ट्रीय निर्धारित योगदान नए तरह की खोज है और इसे आगे बढ़ाना होगा। यह खोज महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने वाली सिद्ध हुई। इसके माध्यम से 186 से भी अधिक देशों की भागीदारी को समर्थन दिया गया। इसके बाद आईएनडीसी के मसौदे में उल्लेख नहीं किया गया। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि वित्त की बात की जाए तो यह बहुत ही निराशाजनक बात है।
विकसित देश अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। उनकी जिम्मेदारी विकासशील देशों पर हस्तांतरित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वित्तीय सहायता बढ़ाने को लेकर किसी भी तरह का संकेत नहीं किया गया। ऐसे में भारत जैसे देश किस तरह से दिशा में कार्य करेंगे। पेरिस सम्मेलन को लेकर इस तरह का पहला मसौदा दो दिवसीय विचार- विमर्श के बाद तैयार किया गया।
फ्रांस के विदेश मंत्री लाॅरेंत फैबियस द्वारा कहा गया कि भारत ने बहुत ही दृढ़ता से अपनी बात को सामने रखा। भारत का पक्ष था कि प्रदूषकों और पीडितों को एक स्तर पर लाकर किसी तरह का समझौता तैयार नहीं किया जा सकता है। प्रकाश जावड़ेकर द्वारा इस मामले में निर्णायक कदम उठाए गए हैं जिसमें यह कहा गया कि आम सहमति पर पहुंचने के लिए अभी सही प्रयास करने की आवश्यकता है। यही नहीं इस मामले में यह भी कहा गया कि जलवायु महत्वाकांक्षाओं और अलग दायित्वों के सिद्धांतों के मध्य संतुलन होने की आवश्यकता है।