नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गोमांस और गौहत्या को लेकर दायर की गई एक याचिका को खारिज कर दिया। सरकार द्वारा न्यायालय को यह कहा गया है कि पशुधन की रक्षा हेतु दिल्ली कृषि पशुधन संरक्षण कानून निर्धारित है। एनसीआर में गौहत्या रोकने और गौमांस को प्रतिबंधित करने के उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की बात करना एक विचार की गलत व्याख्या है।
दरअसल न्यायालय ने कहा कि पशुधन के संरक्षण के लिए पहले ही कानून निर्धारित है फिर इस मामले में अलग से कानून का प्रावधान करने की जरूरत नहीं है। दिल्ली सरकार ने गौवंश के रक्षण के लिए याचिका दायर करते हुए गौहत्या रोकने और गौमांस के विक्रय को प्रतिबंधित करने की मांग की थी।
दिल्ली के किसी भी क्षेत्र से कृषि पशुधन को दिल्ली के बाहर किसी भी क्षेत्र में नहीं ले जाया जा सकता है। न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ द्वारा सुनवाई करते हुए कहा गया कि दिल्ली सरकार के पास पहले ही पांच आश्रय गृह हैं। जिनमें 23000 मवेशी रखे जा सकते हैं। हालांकि इन मवेशियों की संख्या 10000 बताई गई है।
न्यायालय द्वारा यह भी कहा गया कि इस मामले में न्यायालय कानून लागू करने का कोई आदेश नहीं दे सकती है। मगर राज्य और केंद्र सरकार द्वारा निर्णय लिया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में केरल हाउस कैंटीन में गोमांस परोसे जाने की अफवाह के बाद पुलिस ने यहां पूछताछ की थी इस दौरान पुलिस द्वारा कोई सेंपल नहीं लिए गए थे मगर इस मामले में हिंदूवादी और अन्य राजनीतिक दलों द्वारा हंगामा मचाया गया था।