सामूहिक दुष्कर्म मामले में 30 साल की सजा काट रहा शख्स बरी, अदालत ने दिया ये तर्क
सामूहिक दुष्कर्म मामले में 30 साल की सजा काट रहा शख्स बरी, अदालत ने दिया ये तर्क
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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सामूहिक दुष्कर्म के जुर्म में 30 साल कारावास की सजा भुगत रहे शख्स को यह कहते हुए बरी कर दिया कि इस मामले में कई विसंगतियां हैं और कई तथ्यों में तालमेल नहीं बैठ रहा है। शिवा पर नौ महीने अपने घर में एक महिला को बंदी बनाकर रखने और उसके साथ बलात्कार करने का आरोप था, इसी मामले में 2014 में निचली अदालत ने शिवा को 30 वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी। 

न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने निचली अदालत के 2014 के फैसले के खिलाफ शिवा की याचिका स्वीकार की। उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर किसी दूसरे मामले में शख्स को जेल में रखना अनिवार्य नहीं है तो उसे बरी किया जाए। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में कई विसंगतियां हैं और कई तथ्यों में तालमेल नहीं है। अदालत ने कहा कि, ‘अदालत के मुताबिक अतिरिक्त सत्र न्यायालय का फैसला बरकरार नहीं रखा जा सकता और इसे ख़ारिज किया जाना चाहिए।’ 

अभियोजन के अनुसार, महिला ने 2012 में आरोप लगाया था कि वह ट्रेन में यात्रा के दौरान शौचालय गई थी, तभी शिवा ने उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी और रुमाल से उसका मुंह दबा दिया जिससे वह बेहोश हो गई। महिला के मुताबिक, होश आने पर उसने स्वयं को एक कमरे में पाया जहां शख्स उसे कथित रूप से नशीले पदार्थ देता था, उसे पीटता था और दुष्कर्म करता था। यह सिलसिला नौ महीने तक जारी रहा। महिला ने यह भी आरोप लगाया है कि आरोपी के दो दोस्तों ने भी उसके साथ दुष्कर्म किया और दोनों के चेहरे ढके थे। 

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