देहरादून: विश्व विख्यात फूलों की घाटी एक जून को देश-विदेश के सैलानियों के लिए खुल जाएगी. इस बार हुई बर्फबारी से घांघरिया से फूलों की घाटी तक 3 किलोमीटर पैदल रास्ता क्षतिग्रस्त है. नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क तक पहुंचने के लिए बर्फ काटकर रास्ता निर्मित किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार, इस काम के बाद ट्रेक को आवाजाही के लिए खोल दिया जाएगा और जून महीने के पहले ही दिन फूलों की घाटी सैलानियों के लिए खोल दी जाएगी.
घाटी के पैदल रास्ते पर अभी भी विभिन्न स्थानों पर चार हिमखंड पसरे हुए हैं. नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के अधिकारी व कर्मचारियों की ओर से घाटी का निरीक्षण करने के बाद घाटी के पैदल रस्ते से बर्फ हटाने का काम आरंभ कर दिया गया है. नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के 14 मजदूर पैदल ट्रेक से बर्फ हटाने में लगे हुए हैं. वन क्षेत्राधिकारी बृजमोहन भारती ने जानकारी देते हुए बताया है कि पैदल ट्रेक पर द्वारीपुल, बामणधोड़, नागपाल और मेरी की कब्र के आसपास बड़े-बड़े हिमखंड पसरे हुए पड़े हैं. घाटी में अभी भी करीब दो फीट तक बर्फ जमी हुई है. एक जून से पहले इस कार्य को संपन्न करके इसे सैलियनियों के लिए खोल दिया जाएगा.
आपको बता दें कि फूलों की घाटी विश्व की इकलौती जगह है, जहां प्राकृतिक रूप में 500 से ज्यादा प्रजाति के फूल खिलते है. घाटी की खोज वर्ष 1931 में कामेट पर्वतारोहण के बाद ब्रिटेन के पर्वतारोही फ्रेंक स्मिथ ने की थी. वे भटकते हुए यहां पहुंच गए थे और घाटी की सौंदर्य पर इस कदर मुग्ध हो गए कि फिर कई दिन यहीं गुजारे. अक्टूबर 2005 में यूनेस्को ने फूलों की घाटी को विश्व धरोहर का दर्जा दे दिया.
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