कोरोना से भी भयंकर थी यह महामारियां, पढ़कर कहेंगे आप- 'अच्छा हुआ हम तब नहीं थे'
कोरोना से भी भयंकर थी यह महामारियां, पढ़कर कहेंगे आप- 'अच्छा हुआ हम तब नहीं थे'
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कोरोना संक्रमण ने जिस तरह पूरी दुनिया में तबाही मचाई हुई है उसे देखकर हर कोई यह कह रहा है कि 'भगवान हमें बक्श देना।' हर व्यक्ति इस महामारी का खात्मा देखना चाहता है और इसका अंत चाहता है। इस महामारी ने ने ना जाने कितने ही लोगों के घर उजाड़ दिया। कितने ही लोग इस महामारी में अपनी जान गवा बैठे और कितने ही लोग हैं जो अब भी इस महामारी से जंग लड़ रहे हैं। इस महामारी ने एक-एक कर ना जाने कितने लोगों को अपनी चपेट में ले लिया और अब भी ले रहा है। साल 2020 में यह कोहराम मचा चुका है और अब इस संक्रमण की दूसरी लहर कोहराम मचा रही है। वहीँ कुछ दावों में यह भी कहा जा रहा है कि इसकी तीसरी लहर भी आएगी हालाँकि लोग उसके ना आने की दुआएँ कर रहे हैं। खैर आज हम आपको कोरोना संक्रमण से पहले आईं उन महामारियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बहुत खतरनाक थी और उनके बारे में जानने के बाद आप यह कहेंगे कि अच्छा हुआ तब हम नहीं थे।आइए जानते हैं।

जस्टिनियन का प्लेग - यह महामारी आज से 1500 साल पहले फैली थी। यह ब्यूबोनिक प्लेग बाइजेंटाइन साम्राज्य में फैला था। जी दरअसल इस प्लेग का कारण चूहों को माना जाता है। आपको बता दें कि जस्टीनियन उस समय का सम्राट था, और उसी के नाम पर इस प्लेग का नाम दिया गया। जस्टीनियन वही था जिसने तुर्की में महान हाजिया सोफिया चर्च बनवाया था। कहते हैं इस महामारी में करीब 5 करोड़ लोगों की जान गई थी। यह महामारी जैसे-जैसे फैली वैसे-वैसे लोगों की मौत शुरू हो गई और देखते ही देखते इस महामारी ने 5 करोड़ लोगों को अपनी चपेट में ले लिया और मौत दे दी।उस समय इससे बचने का कोई तरीका नहीं था और जो इसकी चपेट में आता था उसका मरना तय था।

कोकोलिज़्तली महामारी- यहाँ महामारी साल 1545 में शुरू हुई। इसे खत्म होने में 3 साल लग गए। इसका अंत 1548 में हुआ। आपको बता दें कि कोकोलिज़्तली शब्द का अर्थ कीड़ा होता है, और यह महामारी कीड़ों के द्वारा शुरू हुई थी। इस महामारी का जन्मदाता कीड़ों को ही माना जाता है। कहते हैं इस महामारी ने साल 1545 में दस्तक दी और दस्तक देते ही इसने लोगों को संक्रमित करना शुरू कर दिया। देखते ही देखते इसकी चपेट में करोड़ों लोग आ गए। करीब 3 सालों में इस महामारी ने 1।5 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतार दिया। जिस दौर में यह बीमारी लोगों की जान ले रही थी, उससे ठीक पहले लोग सूखे से परेशान थे। कहा जाता है उस दौर में कीड़ो की संख्या काफी बढ़ गई थी और उन्ही कीड़ों के चलते लोगों की जान चली गई।

H1N1 स्वाइन फ्लू- इस फ्लू को तो आप जानते ही होंगे। यह H1N1 फ्लू, है जिसे अधिकतर लोग स्वाइन फ्लू के नाम से जानते है। यह महामारी मैक्सिको में आई थी और इसकी शुरुआत साल 2010 में हुई थी। उस समय इस महामारी ने देखते ही देखते लोगों को अपनी चपेट में ले लिया और लोगों की मौत होना शुरू हो गई। उस समय इसकी कोई वैक्सीन नहीं थी, लेकिन हाँ आज इस महामारी की वैक्सीन उपलब्ध है। उस समय यह फ्लू कोरोनावायरस के जैसे ही बहुत तेजी से फैला था और एक साल में इस महामारी ने करीब 1।4 अरब की जनसंख्या को संक्रमित कर दिया था। कहते हैं इस महामारी के चलते दुनिया भर में करीब 5,75,400 लोगों की मौत हो गई थी।

काली मौत- यह महामारी साल 1346 से 1353 तक रही थी। इसे ब्लैक डेथ के नाम से, ब्यूबोनिक प्लेग के नाम से जाना जाता है। इस महामारी ने लोगों के दिलो-दिमाग में जगह बना ली थी और इसके नाम से ही लोग कांपने लगते थे। कहा जाता है इस प्लेग की उत्पत्ति एशिया में हुई थी और वहां से यह यूरोप में फैलना शुरू हो गया। यूरोप में इसका प्रकोप बहुत घातक रहा और देखते ही देखते इन करोड़ों लोगों को अपना शिकार बना डाला। साल 1346 में यह महामारी शुरू हुई और कई सालों तक इससे मौतों का सिलसिला जारी रहा। इस महामारी के चलते यूरोप की उस समय की आधी से ज्यादा जनसंख्या मौत को गले लगाती चली गई। कुछ रिसर्चर बताते हैं कि चौदहवीं शताब्दी में इस प्लेग ने 5 करोड़ के करीब लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। कहा जाता है यह रोग एक प्रकार के विषाणु यर्सीनिया पेस्टिस के चलते दुनिया में आया था। इसी विषाणु के घातक प्रभाव से चूहों, मनुष्यों और गिलहरियों की जान चली गई।

स्पेनिश फ्लू - यह फ्लू 5 करोड़ से 10 करोड़ लोगों तक को अपने साथ ले गया था। उस दौर में इस फ्लू से 50 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित थे। इस फ्लू के आते ही लोगों की मौतें होना शुरू हो गई। कहते हैं प्रथम विश्व युद्ध के अंतिम महीनों के दौरान यानी साल 1918 में इस संक्रमण का प्रसार आरम्भ हो गया था। कहा जाता है वैसे तो यह बीमारी स्पेन में शुरू नहीं हुई थी लेकिन फिर भी इस फ्लू पर स्पेनिश होने का ठप्पा लग गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सिर्फ स्पेन ने इसके प्रसार की सूचना दी, जबकि अन्य देशों ने युद्ध की स्थिति होने के चलते इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी। स्पेन के इस कदम ने फ्लू को उसी जगह का बना दिया और फ्लू का नाम पड़ गया स्पेनिश फ्लू। इस फ्लू से अमेरिका में 6।75 लाख लोगों की मौत हुई थी। वहीँ अन्य देशों में भी कई मौतें हुईं और इसी के चलते इस फ्लू से हुई मौतों का आंकड़ा 10 करोड़ के भी पारा बताया जाता है।

कालरा- इस महामारी के बारे में भी आपने सुना होगा। इस महामारी को गरीब लोगों की बीमारी का नाम दिया गया था। यह महामारी भी कई सालों तक रही और इसने भी कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इस महामारी का प्रभाव सबसे अधिक पश्चिम भारत में देखने के लिए मिला था। साल 1817 से यह महामारी शुरू हुई और उसके बाद साल 1821 में इसका प्रसार कम हो गया। उसके बाद यह पुन: लौटी साल 1831 में। उसके बाद साल 1832, साल 1871 में भी इसका प्रभाव भयंकर रहा। इस दौरान इस महामारी ने लाखों लोगों को अपना शिकार बनाया और इस महामारी से मरने वालों की संख्या भी लाखों में रही थी। कहा जाता है उसके बाद यह महामारी खत्म हो गई और दोबारा कभी लौटकर नहीं आई।

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