Coronavirus के कारण व्यवसाय पर पड़ रहा है असर, वस्तुओ की कीमतों में हुआ इजाफ़ा
Coronavirus के कारण व्यवसाय पर पड़ रहा है असर, वस्तुओ की कीमतों में हुआ इजाफ़ा
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चीन में फैले कोरोना वायरस का कारोबारी असर दुनिया के साथ-साथ भारत पर भी साफ तौर पर दिखने लगा है। वहीं कई कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोत्‍तरी होने लगी है तो कई के दाम आने वाले दिनों में बढ़ने की आशंका है। मैन्यूफैक्चर्स का कहना है कि कच्चे माल के घरेलू सप्लायर्स भी माहौल का फायदा उठा रहे हैं। इसके साथ ही इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के कार्यकारी निदेशक सुरंजन गुप्ता ने बताया कि इंजीनियरिंग गुड्स से जुड़े कुछ कच्चे माल के दाम बढ़े हैं। वहीं कुछ विशेष प्रकार के स्टील के दाम में 10 फीसद तक का इजाफा हुआ है।वहीं  इंजीनियरिंग गुड्स निर्यातक एवं फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट प्रमोशन ऑर्गनाइजेशंस के पूर्व अध्यक्ष एससी रल्हन ने बताया कि नायलॉन जैसे कच्चे माल के दाम बढ़ गए हैं।इसके साथ ही  कई केमिकल्स से जुड़े कच्चे माल के दाम में पांच से 10 फीसद की बढ़ोत्‍तरी हो चुकी है।

सीएलएसए की रिपोर्ट के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक एवं व्हाइट गुड्स के लिए भारत काफी हद तक चीन पर निर्भर है।इसके साथ ही  टेलीविजन पैनल, एसी व फ्रिज के कंप्रेसर एवं एलॉय चिप्स के दाम पांच से 10 फीसद तक बढ़ चुके हैं और सप्लाई चेन में सुधार नहीं होने पर स्थिति खराब हो सकती है। वहीं भारत के इलेक्टिक गुड्स बाजार की अग्रणी कंपनियां क्राम्पटन, वोल्टास, हैवल्स अपने कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर करती हैं। ऐसे में चीन से होने वाले आयात में इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स की हिस्सेदारी आठ फीसदी है। इसके साथ ही उद्यमियों का कहना है कि अभी कच्चे माल का स्टॉक है। वहीं स्टॉक की समीक्षा के बाद ही स्थिति साफ होगी, परन्तु मांग के मुकाबले सप्लाई कम रहने पर कीमत हर हाल में बढ़ेगी। वहीं कुछ कारोबारी अभी कोरोना के कारण बने नकारात्मक माहौल का भी फायदा उठा रहे हैं। 

इसके अलावा इंटीग्रेटेड एसोसिएशन ऑफ माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के चेयरमैन राजीव चावला कहते हैं कि चीन विश्व की फैक्ट्री है और पूरी दुनिया में उसके संकट का असर आएगा।इसके साथ ही  छोटे उद्यमी सीधे तौर पर चीन से माल नहीं मंगाते हैं। वे कच्चे माल के लिए घरेलू सप्लायर्स पर निर्भर करते हैं। वहीं उन्होंने बताया कि मार्च में स्टॉक की समीक्षा होने के बाद कच्चे माल के दाम बढ़ सकते हैं। ऐसे में उन्होंने कहा कि उद्यमियों के पास चीन का विकल्प नहीं है।इसके साथ ही  उदाहरण के तौर पर पैरासीटामॉल दवा बनाने के लिए चीन से कच्चे माल की सप्लाई होती है। इसके साथ ही चीन से सप्लाई बंद होने पर जर्मनी से पैरासीटामोल के लिए कच्चा माल मंगवाया जा सकता है, परन्तु यह चीन के कच्चे माल के मुकाबले कई गुना महंगा है। वहीं इससे बनी दवा को बाजार में बेचना व्यावहारिक नहीं रह जाएगा।

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