कांग्रेस दर्शन के कंटेंट एडिटर बर्खास्त
कांग्रेस दर्शन के कंटेंट एडिटर बर्खास्त
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मुंबई : मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम ने पार्टी के प्रकाशन कांग्रेस दर्शन के एक लेख में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पार्टी की मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी की आलोचना के लिए सोमवार को माफी मांगी। माफी मांगने के कुछ ही घंटे बाद कांग्रेस दर्शन के कंटेंट एडिटर सुधीर जोशी को बर्खास्त कर दिया गया। बिना किसी लेखक के नाम या किसी स्रोत के उल्लेख के बिना प्रकाशित कांग्रेस दर्शन के इस लेख में जवाहर लाल नेहरू की कश्मीर नीति, सरदार वल्लभ भाई पटेल से उनके संबंध, सोनिया गांधी के पिता,उनकी शादी और पिछले कुछ वर्षो की उनकी राजनीतिक रणनीतियों पर भी आलोचनात्मक टिप्पणियां की गई हैं। निरुपम ने कहा, कांग्रेस दर्शन के कुछ लेखों में इस्तेमाल किए गए कुछ शब्द आपत्तिजनक हैं। मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूं।

पत्रकार रह चुके निरुपम इस प्रकाशन के मुख्य संपादक हैं। उन्होंने इन गलतियों के लिए जिम्मेदार संपादकीय समिति में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा भी किया। उन्होंने कहा, हम ध्यान रखेंगे कि इस तरह की गलतियां भविष्य में न दोहराई जाएं। यह गलती ऐसे समय में आई है, जब कांग्रेस सोमवार को अपना 130वां स्थापना दिवस मना रही है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसम्बर, 1885 को हुई थी। भारतीय जनता पार्टी ने इस लेख को हाथोहाथ लिया और इसे निरुपम की बौद्धिक घर वापसी बताया। निरुपम एक समय में शिवसेना सदस्य रह चुके हैं। लेख में पंडित नेहरू को एक तरह से कश्मीर और चीन के मसलों के लिए जिम्मेदार बताया गया है। इसमें कहा गया है, हालांकि (वल्लभभाई) पटेल को देश का उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बनाया गया था, लेकिन दोनों नेताओं (नेहरू और पटेल) के संबंध तनावपूर्ण बने रहे। दोनों ने ही कई बार इस्तीफे की धमकी दी।

लेख में कहा गया है, नेहरू विदेश मामलों के प्रभारी थे और कश्मीर का मुद्दा उन्होंने अपने पास यह कहते हुए रखा था कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा है। लेकिन, आज की समस्याएं शायद नहीं होतीं अगर नेहरू ने इस मुद्दे पर पटेल की दूरदृष्टि को समझ लिया होता। गोवा के मुद्दे पर लेख में कहा गया है कि नेहरू, पटेल के इस ऐलान से खुश नहीं थे कि भारत की सेनाएं गोवा को दो घंटे में पुर्तगाल के कब्जे से छुड़ा लेंगी। लेख में कहा गया है कि अगर पटेल की बात मान ली गई होती तो गोवा को आजादी के लिए 1961 तक का इंतजार नहीं करना पड़ता। सोनिया गांधी पर भी लेख में शब्दों के तीर छोड़े गए। इसमें कहा गया है कि सोनिया के पिता फासीवादी ताकतों के साथ थे जिनकी द्वितीय विश्वयुद्ध में रूस के हाथों पराजय हुई थी। लेख में बताया गया है कि सोनिया शुरू में एयर होस्टेस बनना चाहती थीं। लेख में लगता है कि उनकी प्रशंसा की जा रही है लेकिन लिखा यही गया है कि 1997 में पार्टी सदस्य बनने के महज 62 दिनों के अंदर वह पार्टी अध्यक्ष बन गईं।

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