कोविड-19 ने पूरी दुनिया की स्वास्थ्य प्रणालियों के सामने चुनौती खड़ी कर दी है और शल्यचिकित्सा को और भी ज्यादा जोखिम वाला काम बना दिया है। चूंकि दुनिया में हर साल 313 मिलियन लोगों की शल्यचिकित्सा होती है, इसलिए शल्यचिकित्सा संबंधी दलों और रोगियों की सुरक्षा के लिए और भी ज्यादा उपाय करना बहुत जरूरी हो गया है।
वर्सियस रोबोट (The Versius Robot)
न्यूनतम इन्वेसिव पद्धतियाँ करना जटिल काम होता है और कोविड-19 के समय इससे शल्यचिकित्सा संबंधी दलों के लिए जोखिम और भी बढ़ जाता है। हालाँकि रोबोटिक तकनीक से शल्यचिकित्सक स्वयं की सुरक्षा को जोखिम में डाले बिना न्यूनतम इन्वेसिव शल्यचिकित्सा के लाभ रोगियों तक पहुँचा पा रहे हैं। कोविड-19 के इस काल में शल्यचिकित्सा संबंधी रोबोटिक्स के बढ़ते प्रयोग से रोगी न्यूनतम इन्वेसीव शल्यचिकित्सा का लाभ उठा सकते हैं, साथ ही इससे मैन्युअल न्यूनतम इन्वेसिव शल्यचिकित्सा की तुलना में शल्यचिकित्सा संबंधी दल को ज्यादा सुरक्षा मिलती है।
रोगियों के लिए यह स्पष्ट है कि खुली शल्यचिकित्सा की तुलना में न्यूनतम इन्वेसिव, या मुख्य छिद्र प्रक्रियाएँ ज्यादा फायदेमंद होती हैं- ये शल्यचिकित्सा वाली जगह पर संक्रमण का खतरा कम करने, और रोगियों को अस्पताल से जल्दी बाहर निकलने, और घर लौटने में मदद करती है। आज कोविड-19 के दौरान इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। इसका पुख्ता सबूत है कि जिन रोगियों में शल्यचिकित्सा वाली जगह पर संक्रमण होता है, उनमें मृत्यु का जोखिम शल्यचिकित्सा वाली जगह पर संक्रमण ना होने वाले रोगियों की तुलना में 2-11 गुना बढ़ जाता है। इसलिए रोगी की सर्वश्रेष्ठ देखभाल करने के लिए रोगी में शल्यचिकित्सा वाली जगह पर संक्रमण होने से रोकने के लिए सभी कदम उठाए जाने चाहिए। अगर खुली और लैपरोस्कोपिक शल्यचिकित्सा के बीच शल्यचिकित्सा वाली जगह पर संक्रमण होने की तुलना की जाए, तो बहुत ज्यादा अंतर दिखता है। अगर किसी रोगी को खुली तकनीक से अपना अपेंडिक्स निकलवाना हो, तो लैपरोस्कोपिक न्यूनतम इन्वेसिव तकनीक की तुलना में इससे शल्यचिकित्सा वाली जगह पर संक्रमण होने का खतरा दोगुना हो जाता है। यह भी अविवादित है कि कोविड-19 के समय जब अस्पतालों में बिस्तर की जगह पर दबाव है, तो रोगियों के अस्पताल में ठहरने के समय को कम करने और उनके घर जल्दी लौटने में रोगी की मदद करने के यथासंभव प्रयास किए जाने चाहिए।
डॉ. रमाकांत पांडा
एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट, मुंबई, जो कि भारत में रोगियों को रोबोटिक शल्यचिकित्सा प्रक्रिया प्रदान करने वाले कुछ केन्द्रों में से एक है, के डॉ. रमाकांत पांडा ने कहा “रोगियों की सुरक्षा हमारी मुख्य प्राथमिकता है और कोविड-19 के साथ हमें यह सुनिश्चित करना है कि हम रोगियों के लिए शल्यचिकित्सा जितना हो सके उतने अच्छे तरीके से करें। हमें लगता है कि शल्यचिकित्सा संबंधी रोबोटिक्स रोगियों को यह वर्धित सुरक्षा प्रदान करता है। चूंकि इसमें शल्यचिकित्सक कंसोल पर बैठकर शारीरिक दूरी बनाए रखता है, इसलिए इसमें रोगी या शल्यचिकित्सा संबंधी दल के कोविड-19 से ग्रस्त होने की संभावना को कम करने की क्षमता है। हमें प्रसन्नता है कि हम यह सेवा सर्जिकल रोबोट, वर्सियस के माध्यम से प्रदान करेंगे। रोबोटिक शल्यचिकित्सा से शल्यचिकित्सा उन्नत बनती है और यह कोविड काल में रोगियो की सहायता करती है, और साथ ही इसमें भविष्य की महामारी में शल्यचिकित्सा की जा सकने की क्षमता है। मैन्युअल न्यूनतम इन्वेसिव तकनीक करते समय शल्यचिकित्सक रोगी के बहुत पास होता है और साथ ही शल्यचिकित्सा संबंधी दल के ज्यादा सदस्य शल्य कक्ष में होते हैं इसलिए इससे संक्रमण के संपर्क में आने और रोगियों में उसके फैलने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। रोबोटिक शल्यचिकित्सा में, शल्यचिकित्सक 6 फीट से ज्यादा की दूरी पर होता है और इससे शल्य कक्ष में लोगों की संख्या भी कम हो जाती है। शल्यचिकित्सा संबंधी रोबोट, वर्सियस को शल्य टेबल से दूर, लेकिन सीधी दृष्टि में और हर समय रोगी तक आसानी से पहुँच के अंदर एक कंसोल से नियंत्रित किया जाता है। शल्य टेबल के चारों ओर अलग अलग, छोटे, मॉड्यूलर रोबोटिक आर्म के साथ, शल्यचिकित्सक 3डी एचडी दृष्टि और आसानी से समझने योग्य उपकरण कंट्रोल के साथ कंसोल से रोबोटिक आर्म को नियंत्रित कर सकता है। इसके अलावा चूंकि शल्यचिकित्सक उपकरण और दृश्य के दोनों आर्म्स का संचालन करता है इसलिए कैमरे के संचालन के लिए किसी सहायक की कोई आवश्यकता नहीं होती - जिससे रोगी में कोविड फैलने का जोखिम कम हो जाता है और यह अस्पतालों की बहुत ज्यादा दबाव के समय कम जनबल के साथ ज्यादा कुशलता से काम करने में मदद करता है। कोविड-19 के कारण अस्पतालों को रोगी को ऐसे समय में सर्वश्रेष्ठ देखभाल प्रदान करने हेतु सावधान होना पड़ता है जब संसाधनों पर बहुत ज्यादा दबाव होता है। अस्पतालों को कोविड-19 के समय थोड़ा अलग सोचना होगा और शल्यचिकित्सा संबंधी रोबोट्स भविष्य में शल्य कक्ष की एक छोटी तस्वीर दिखाता है जहाँ तकनीक शल्यचिकित्सा संबंधी दल की न्यूनतम इन्वेसीव शल्यचिकित्सा करने में इस प्रकार मदद करती है जिससे शल्यचिकित्सा संबंधी दल, रोगी और आखिरकार अस्पताल को फायदा होता है। यह बहुत जरूरी है कि रोगी कोविड के चलते देरी ना करें, चूंकि वर्सियस रोबोटिक शल्यचिकित्सा से रोगी जल्दी से और लगभग बिना किसी दर्द/ थोड़े दर्द के साथ ठीक हो जाते हैं और कोविड फैलने का खतरा भी कम होता है- इसलिए वर्सियस एक अवसर है। यह एक किफ़ायती उपाय है, चूंकि यह मैन्युअल लैप्रोस्कोपी की तुलना में थोड़ा ही महँगा है, पर खासतौर पर इस समय इसके कई फायदे हैं।”
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