...ये है पठानकोट हमले में 6 गोलियां लगने के बाद भी 1 घंटे तक लड़ने वाले हीरो
...ये है पठानकोट हमले में 6 गोलियां लगने के बाद भी 1 घंटे तक लड़ने वाले हीरो
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नई दिल्ली : 6 गोलियां लगने के बाद जहां किसी का बचना भी मुमकिन नही हो पाता है, वहीं शैलेश के पेट में आधा दर्जन गोलियां लगने के बाद भी वो आंतकियों को अपने हौसले से पस्त करते रहे। 2 जनवरी की तड़के सुबह एक खास तरह का हेलीकॉप्टर तैयार था। यह हेलीकॉप्टर आतंकियों की जमीन पर पहचान करता है। पठानकोट एयरबेस पर हमले के खतरे के कारण ये सारी तैयारियां पहले ही की जा चुकी थी। पहले से ही अंदेशा था कि आतंकियों के हमले से एयरबेस में काफी नुकसान हो सकता है।

वायुसेना ने बताया कि हेलीकॉप्टर को धीरे-धीरे आगे बढ़ाया जा रहा था ताकि वो डिटेक्ट न हो। सुबह तीन बजे गरुड़ कमांडो के 12 जवानों को तैनात किया गया। 6 को मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट विंग के बाहर और 6 को पाकिस्तानी आतंकियों पर गोलियां दागने के ऑर्डर दिए गए। गरुड़ कमांडो विंग के गुरसेवक सिंह को हमले की जिम्मेदारी दी गई। इनके साथ थे शैलेश गौर और कटल। एक पत्थर की ओट में छिपने के बाद भी गुरसेवक को तीन गोलियां लगी। फिर भी वो आतंकियों को मुह तोड़ जवाब देते रहे।

गुरसेवक के गिरते ही शैलेश और कटल ने कमान संभाली। अपनी इजरायल में बनी गन की मुंह खोली और आतंकियों पर फायरिंग शुरु की। तभी शैलेश के पेट में 6 गोलियां लगी और उनका खून बिना रुके बहना शुरु हो गया। इसके बाद बी शैलेश ने कटल के साथ मिलकर एक घंटे तक लड़ाई लड़ी। इस बीच वो बैकअप का इंतजार कर रहे थे। इसके बाद आतंकी वहां से भागने में कामयाब हुए, लेकिन उन्हें टेक्नीकल विंग में घुसने नहीं दिया गया।

आतंकियों से लोहा लेने का ये ऑपरेशन 80 घंटे तक चला, जिसमें 7 जवान शहीद हुए और 20 घायल हो गए। इन घायलों में शैलेश भी थे। 24 साल के शैलेश अब जिंदगी की जंग लड़ रहे है। शैलेश के भाई वैभव ने बताया कि शैलेश को मॉडलिंग का शौक है। वो स्कूल और कॉलेज में भी मॉडलिंग किया करते थे।

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