'राजनीति में आना चाहता था, लेकिन...', CJI रमना ने किया अपने जीवन का बड़ा खुलासा
'राजनीति में आना चाहता था, लेकिन...', CJI रमना ने किया अपने जीवन का बड़ा खुलासा
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नई दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना ने शनिवार (23 जुलाई 2022) को अपने निजी जीवन को लेकर एक बड़ा खुलासा  किया। उन्होंने बताया कि वह सक्रिय राजनीति में उतरना चाहते थे, मगर उनकी नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था। उन्होंने कहा कि, 'मैं सक्रिय सियासत में शामिल होना चाहता था, किन्तु मेरी नियति में कुछ और ही लिखा हुआ था। जिस चीज के लिए मैंने इतनी मेहनत की थी, उसे छोड़ने का फैसला बिल्कुल भी आसान नहीं था।' चीफ जस्टिस ने कहा कि इन वर्षों में, मैंने अपना करियर और जीवन लोगों के इर्द-गिर्द ही रखा। मगर बेंच (कोर्ट) में शामिल होने के बाद आपको अपने सामाजिक संबंधों को पीछे छोड़ना पड़ता है।

हालाँकि, रमना ने यह भी कहा कि उन्हें जज होने पर कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने कहा कि नयायधीश के रूप में काम करने का मौका बहुत सी चुनौतियों के साथ आया, मगर इसके लिए उन्हें एक दिन भी खेद नहीं हुआ। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक सेवा नहीं, बल्कि आह्वान है। उन्होंने नेशनल यूनिवर्सिटी आफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ, राँची द्वारा आयोजित किए गए ‘जस्टिस एस बी सिन्हा मेमोरियल लेक्चर’ पर ‘एक जज का जीवन’ पर उद्घाटन भाषण देते हुए उक्त बातें कही।  इस दौरान CJI ने कहा कि इन दिनों न्यायाधीशों पर शारीरिक हमले बढ़ रहे हैं। बगैर किसी सुरक्षा या सुरक्षा के आश्वासन के जजों को उसी समाज में रहना होगा, जिस समाज में उन्होंने लोगों को दोषी करार दिया है। CJI एनवी रमना ने कहा कि राजनेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और अन्य जन प्रतिनिधियों को अक्सर उनकी नौकरी की संवेदनशीलता के चलते सेवानिवृत्ति के बाद भी सुरक्षा दी जाती है। विडंबना यह है कि न्यायाधीशों को समान सुरक्षा नहीं दी जाती है। 

CJI ने कहा कि कई अवसरों पर, उन्होंने लंबित रहने वाले मुद्दों को उजागर किया है। वह जजों को उनकी पूरी क्षमता से काम करने में सक्षम बनाने के लिए भौतिक और व्यक्तिगत दोनों प्रकार के बुनियादी ढाँचे में सुधार की जरूरत की पुरजोर वकालत करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जजों के नेतृत्व वाले कथित आसान जीवन के संबंध में झूठे नेरेटिव गढ़े जाते हैं, जिसे सहन करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि लोग अक्सर भारतीय न्यायिक प्रणाली के सभी स्तरों पर काफी समय से पेंडिंग मामलों की शिकायत करते हैं। जज फ़ौरन प्रतिक्रिया नहीं देते हैं, किन्तु इसे कमजोरी या लाचारी न समझें। जब स्वतंत्रता का इस्तेमाल जिम्मेदारी से किया जाता है, तो उनके क्षेत्र में बाहरी प्रतिबंधों की कोई जरूरत नहीं होती।

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