नई दिल्ली : केंद्रीय सूचना आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को आदेश दिया है कि 30 जनवरी 1948 को हुई महात्मा गांधी की हत्या से सम्बंधित दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर और चार्जशीट सार्वजनिक की जाए. केंद्रीय सूचना आयोग के पारदर्शिता पैनल का यह अनुदेश ओडिशा के बोलांगीर जिले के रहने वाले हेमंत पांडा के अनुरोध पर किया गया है. पांडा ने गृह मंत्रालय में 7 सूत्रीय एप्लिकेशन देकर बापू की हत्या की एफआईआर और चार्जशीट सहित हत्या की अन्य जानकारी प्राप्त करने की इच्छा जताई है, जिसमें यह भी समिल्लित है कि क्या कानून के अनुसार, बापू की पार्थिव देह का पोस्टमार्टम हुआ था अथवा नहीं.
मंत्रालय ने यह आवेदन भारतीय अभिलेखागार, दर्शन समिति और गांधी स्मृति के निदेशक के पास पंहुचा दिया है. गांधी स्मृति को पहले बिड़ला हाउस के नाम से जाना जाता था, जहां गांधी जी ने अंतिम दिन बिताए थे और जहां उनकी गोली मार कर हत्या की गई थी. राष्ट्रीय अभिलेखागार ने पांडा को जानकारी दी है कि वह पब्लिक रेकॉर्ड एक्ट 1993 और पब्लिक रेकार्ड रूल्स 1997 के प्रावधानों के अंतर्गत जरुरी सूचना प्राप्त करने के लिए उनके कार्यालय आ सकते हैं.
गांधी स्मृति और दर्शन समिति ने उन्हें बताया है कि बापू के परिवार वालों की स्वेच्छा से उनका पोस्टमार्टम नहीं किया गया था. दर्शन समिति ने पांडा को जानकरी दी कि महात्मा गांधी की हत्या के संबंध में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी एवं आरोप पत्र से सम्बंधित उनके पास कोई सूचना नहीं है, जबकि गांधी स्मृति ने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या संबंधी जांच-पड़ताल दिल्ली के तुगलक रोड स्टेशन के द्वारा की गयी थी जिसने घटना की एफआईआर भी दायर की थी.