फिर सामने आया चीन का दोगलापन
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नई दिल्ली : मणिपुर में 4 जून को सेना के काफिले पर हमले के पीछे चीनी साजिश की आशंका जताई जा रही है. एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक सेना के काफिले पर हमला करने वाले उग्रवादी संगठन ने सीजफायर के बावजूद हमला चीन के निर्देश पर ही किया है इस में हमले में 20 जवान शहीद हो गए थे। सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के दो अधिकारी मणिपुर हमले की जिम्मेदारी लेने वाले उग्रवादी संगठन NSCN (खापलांग) के संपर्क में थे। फोन इंटरसेप्शन और लोकेशन डिटेल के आधार पर एक अधिकारी ने यह दावा किया है।

सरकारी सूत्रों ने सोमवार को दावा किया कि ULFA के कट्टरपंथी धड़े के चीफ परेश बरुआ को चीन की PLA के कुछ सीनियर अधिकारियों से निर्देश मिले थे. इसके बाद उसने मार्च में NSCN (K) के चेयरमैन एस.एस. खापलांग को भारत सरकार के साथ हुए सीजफायर अग्रीमेंट को तोड़ने के लिए राजी कर लिया। 

खुफिया जानकारी के मुताबिक खापलांग म्यांमार के तागा में है और बरुआ चीन के युनां प्रांत में है. दोनों के PLA के संपर्क में होने की खबर है अब तो ये भी खबरे आ रही है की उल्फा लीडर परेश बरुआ भी चीनी सेना के निर्देशों पर उग्रवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।

अधिकारी ने बताया, उग्रवादी संगठन म्यांमार में ट्रांसपोर्ट बिजनेस और अफीम का कारोबार कर रहे हैं। हमने राज्य सरकार को इससे जुड़े सबूत और तस्वीरें भी सौंप दी है। खापलांग और बरुआ दोनों ही टागा (म्यांमार) से रुली और कुन्मिंग (दोनों ही चीन के युन्नान प्रांत में) के बीच आते-जाते हैं। दोनों पर चीनी अधिकारियों से संपर्क रखने का भी आरोप है।

नॉर्थ-ईस्ट में करीब 2 दर्जन अराजकतावादी उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं और उनमें से ज्यादातर ने म्यांमार के काचीन प्रांत में ट्रेनिंग कैंप और बेस बनाए हुए हैं. खापलांग और बरुआ दोनों इन संगठनों को हथियार दिलाने में मदद करते हैं. गुरुवार को मणिपुर में सेना के काफिले पर हुए हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 11 अन्य जख्मी हो गए थे.

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