भारत के पूर्व सेनाप्रमुख बिपिन रावत को देश का पहला सीडीएस बनाया जा चुका है. कांग्रेस के एक नेता ने उनके पद संभालने को बाद कहा कि इस गलती के दूरीगामी परिणाम देने पड़ेगे. वही दूसरी और पूर्व सेनाप्रमुख जनरल (रिटायर्ड) शंकर रॉय चौधरी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति को स्वागत योग्य और ऐतिहासिक बताया है. कहा है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने तख्तापलट के डर से ऐसा नहीं किया. बुधवार को उन्होंने कोलकाता में कहा कि देश में सीडीएस की नियुक्ति की लंबे समय से मांग हो रही थी और जरूरत इस बात की थी कि थलसेना, नौसेना और वायुसेना एक छत्र के नीचे आ जाएं, लेकिन समस्या राजनीतिक थी. उन्होंने जोर देकर कहा कि इसके पीछे पूर्ववर्ती सरकारों को तख्तापलट का डर था.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजनायिक आकाओं को इस बात का डर था कि अगर तीनों सेनाएं- सेना, नौसेना और वायुसेना एक छत्र के नीचे आ गई तो कहीं तख्तापलट न हो जाए, यही एकमात्र कारण है कि इतने वर्षो तक देश में सीडीएस का पद नहीं बनाया गया था. बता दें कि 31 दिसंबर को जनरल बिपिन रावत सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए थे और 1 जनवरी को उन्होंने देश के पहले सीडीएस के रूप में पदभार ग्रहण किया.
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अपने बयान में पूर्व सेनाप्रमुख ने कहा कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय के लिए सीडीएस का पद बेहद महत्वपूर्ण है. रॉय चौधरी ने पहले सीडीएस के रूप में जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति पर कहा कि वह बहुत अनुभवी हैं. इतने वर्षो तक उन्होंने भारतीय सेना में सेवाएं दी है. उन्होंने विश्वास जताया कि वह तीनों सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुरूप विवेकपूर्ण और उचित फैसले लेंगे. सीडीएस को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह प्राप्त रक्षा बजट का तीनों सेवाओं के भीतर समान या प्राथमिकता वार आवंटित करने के लिए सरकार को अपनी सिफारिश देंगे.
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