शवों को घर भेजने में बढ़ रही लापरवाही, इंसानियत हो रही शर्मसार
शवों को घर भेजने में बढ़ रही लापरवाही, इंसानियत हो रही शर्मसार
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नई दिल्ली : किसी बीमारी या दुर्घटना में मृत्यु होने पर संबंधित व्यक्ति के शव को वापस घर ले जाने के लिए अस्पताल से वाहन उपलब्ध नहीं किये जाने के मामले ज्यादा ही सामने आने लगे हैं. ताज़ा मामला छत्तीसगढ़ के सीएम मुख्यमंत्री रमन सिंह के विधानसभा क्षेत्र राजनंदगांव का सामने आया है. जहाँ जिला अस्पताल द्वारा शव ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध नहीं किये जाने पर परिवार को मजबूरन अपनी बच्ची का शव ठेले पर ले जाना पड़ा.

गौरतलब है कि छुरिया के बखरूटोला में 17 साल की खिलेश्वरी द्वारा शनिवार को आत्महत्या कर ली थी . शनिवार रात उसका शव मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ही रखा गया. रविवार को पोस्टमार्टम होना था. परिजनों का आरोप है कि पहले पोस्टमार्टम के लिए उनसे रिश्वत मांगी गई, इंकार करने पर काफी देर बाद पोस्टमॉर्टम हुआ. शव को घर ले जाने के लिए  गाड़ी का इंतज़ाम नहीं किया.दोपहर 3.15 बजे आखिर में परेशान परिजन और मृतक के रिश्तेदारों ने एक ठेला लिया और उसमें शव रखकर ले गए.

जबकि दूसरी ओर राजनांदगांव के कलेक्टर भीम सिंह ने इस मामले में कहा कि रिश्वत की कोई बात नहीं है. अस्पताल में दो शव वाहन हैं, दोपहर 2.45 पर पोस्टमॉर्टम खत्म हुआ. अस्पताल ने मृतक लड़की के परिवार से आधे घंटे इंतज़ार करने को कहा लेकिन वह नहीं माने.dead वैसे बता दें कि इससे पहले उत्तर प्रदेश के कौशांबी ज़िले में एक मामा द्वारा अपनी छह महीने की मासूम भांजी का शव साइकिल पर ले गया था. वहीं इटावा में भी एक व्यक्ति को अपने 15 साल के बेटे का शव सरकारी अस्पताल से कंधे पर लादकर घर ले जाना पड़ा था.

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