हार्ट से लेकर कैंसर को मात देने वाली दवाएं होंगी सस्ती, देखिये पूरी लिस्ट
हार्ट से लेकर कैंसर को मात देने वाली दवाएं होंगी सस्ती, देखिये पूरी लिस्ट
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सरकार ने जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) में 34 नई दवाओं को शामिल किया है। इसी के साथ 26 दवाओं को हटाया भी गया है। बताया जा रहा है सरकार के इस कदम से कई कैंसर रोधी दवाएं, एंटीबायोटिक्स और टीके अब और अधिक किफायती हो जाएंगे और मरीजों का खर्च घटेगा। आपको बता दें कि इन्फेक्शन रोकने वाली दवाएं जैसे इवरमेक्टिन, मुपिरोसिन और मेरोपेनेम को भी सूची में शामिल किए जाने के साथ अब ऐसी कुल दवाओं की संख्या 384 हो गई है। इसी के साथ चार अहम कैंसर रोधी दवाएं-बेंडामुस्टाइन हाइड्रोक्लोराइड, इरिनोटेकन एचसीआई ट्राइहाइड्रेट, लेनालेडोमाइड, ल्यूप्रोलाइड एसीटेट व मनोचिकित्सा संबंधी दवाओं-निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी और ब्यूप्रेनोर्फिन को भी लिस्ट में जोड़ा गया है।

आपको बता दें कि 26 दवाओं जैसे रैनिटिडिन, सुक्रालफेट, व्हाइट पेट्रोलेटम, एटेनोलोल और मेथिल्डोपा को नई लिस्ट से हटा दिया गया है। बताया जा रहा है लागत प्रभावशीलता और बेहतर दवाओं की उपलब्धता के मापदंडों के आधार पर इन दवाओं को लिस्ट से बाहर किया गया है। अपडेटेड लिस्ट में एंडोक्राइन दवाओं और गर्भनिरोधक फ्लूड्रोकोर्टिसोन, ओरमेलोक्सिफेन, इंसुलिन ग्लरगाइन और टेनेनिग्लिटीन को जोड़ा गया है। रेस्पिरेटरी सिस्टम की दवा मॉन्टेलुकास्ट और आंख रोग की दवा लैटानोप्रोस्ट का नाम लिस्ट में है। दिल और रक्त नलिकाओं की देखभाल की दवा डाबिगट्रान और टेनेक्टेप्लेस के अलावा अन्य दवाओं ने भी सूची में जगह बनाई है।

बात करें एनएलईएम की तो साल 1996 में ये बनाई गई थी और इसे पहले 2003, 2011 और 2015 में तीन बार अपडेट किया गया था। इसी के साथ एनएलईएम 2022 में बदलाव शिक्षाविदों, उद्योगपतियों और लोक नीति विशेषज्ञों समेत हितधारकों और डब्ल्यूएचओ की जरूरी दवा सूची (ईएमएल)-2021 जैसे अहम दस्तावेजों के साथ लगातार परामर्श के बाद किया गया है। इसी के साथ कोविड दवाओं और टीकों को सूची में नहीं जोड़ा गया है क्योंकि उन्हें इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी गई है और डेटा अभी भी निर्णायक और नियामक नजरिए से पूरा नहीं है।

आपको बता दें कि अधिकतम मूल्य (Ceiling Price) की कैलकुलेशन विभिन्न ब्रांड्स की दवा के बाजार मूल्य के साधारण औसत के आधार पर की जाती है। यह उन दवाओं के लिए किया जाता है जिनकी कुल बाजार में कम से कम 1 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं प्राइस कैप का उल्लंघन करने वाली कंपनियों को दंडित किया जाता है और इस साल, एक स्थायी समिति को दवाओं की एक सूची तैयार करने के लिए कहा गया था जो कम कीमतों पर पर्याप्त रूप से उपलब्ध होनी चाहिए।

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