काॅलेजियम में जजों की नियुक्ति का अधिकार पीएम, प्रेसिडेंट को भी मिले
काॅलेजियम में जजों की नियुक्ति का अधिकार पीएम, प्रेसिडेंट को भी मिले
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नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को जजों की नियुक्ति को लेकर सुझाव दिया गया है। जिसमें सरकार की ओर से कहा गया है कि काॅलेजियम में शामिल होने वाले न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर न्यायाधीशों के नामों का सुझाव देने का अधिकार राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अटाॅर्नी जनरल को भी मिलना चाहिए। सरकार द्वारा यह कहा गया है कि इस तंत्र के कार्य में सुधार करने की एक पद्धति है। सरकार द्वारा पूरी प्रक्रिया में शासन की राय को शामिल करने के लिए कानून पारित करने की संभावना को नकारा नहीं गया है। 

दरअसल सर्वोच्च न्यायाल ने न्यायाधीशों के चयन हेतु काॅलेजियम सिस्टम के स्थान पर न्यायिक नियुक्ति आयोग की बात को खारिज कर दिया था। जिसके बाद सरकार को झटका लगा था। सर्वोच्च न्यायालय का तर्क था कि इससे न्यायिक प्रणाली भ्रष्ट हो जाएगी। न्यायालय ने कहा था कि एनजेएसी द्वारा न्यायिक स्वतंत्रता पर भी असर होगा। कहा गया कि काॅलेजियम सिस्टम, यह संविधान के मूल ढांचे का एक भाग है। काॅलेजियम सिस्टम को अधिक पारदर्शी व जवाबदेह बनाने के लिए भी सुझाव दिए जाने की मांग की गई थी।

भारत सरकार ने इस मसले पर अटाॅर्नी जनरल से सुझाव लिया था जिसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा और सरकार को अधिकार देने की बात भी कही। सरकार द्वारा कहा गया है कि उसने जजों की नियुक्ति में शासन की राय को भागीदार बनाने के लिए कानून पारित करने का विकल्प भी खुला रखा है।  

न्यायालय में जजों की नियुक्ति के लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री और राज्य के एडवोकेट जनरल से भी उत्तर मांगे जाने की संभावनाऐं बताई गई हैं। सरकार ने मांग की है कि काॅलेजियम में जजों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अटाॅर्नी जनरल की ओर से दिए जाने वाले नामों को भी शामिल किया जाए। 

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