नई दिल्ली: सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा को सीवीसी की तरफ से फिलहाल पूरी तरह क्लीन चिट नहीं दी गई है. केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने वर्मा पर लगे आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जांच रिपोर्ट में से कुछ पहलुओं पर फिर से जांच को अनिवार्य बताया है, जिसके लिए उन्होंने और समय की मांग की है. सीवीसी ने रिपोर्ट में दर्शाए गए कुछ पहलुओं को सराहा और कुछ की निंदा की है.
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कोर्ट ने सीवीसी रिपोर्ट की एक प्रतिलिपि याचिकाकर्ता आलोक वर्मा को देने का निर्देश दिया है और उनसे सोमवार दोपहर एक बजे तक रिपोर्ट पर एक सीलबंद लिफाफे में जवाब देने को कहा है. कोर्ट इस मामले पर मंगलवार को फिर सुनवाई करेगा. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने आलोक वर्मा और गैर सरकारी संस्था कॉमनकाज की याचिका पर सुनवाई करने के बाद ये आदेश जारी किए हैं.
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उल्लेखनीय है कि सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा ने उन्हें निदेशक पद से हटाए जाने के केंद्र के आदेश को चुनौती दी है. कॉमनकाज और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की याचिका में भी वर्मा का कामकाज छीने जाने को चुनौती दी गई है. इससे पहले कोर्ट ने सीवीसी को निर्देश दिया था कि वह सेवानिवृत्त न्यायाधीश एके पटनायक की निगरानी में कैबिनेट सचिव के नोट में सीबीआई निदेशक पर लगाए गए आरोपों की जांच करे और सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल करे. कोर्ट के निर्देश पर सीवीसी ने 12 नवंबर को जांच रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश की थी.
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