सीबीआई मामला: अलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई पूरी, अदालत ने सुरक्षित रखा फैसला
सीबीआई मामला: अलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई पूरी, अदालत ने सुरक्षित रखा फैसला
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नई दिल्ली: सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा से अधिकार वापस लेने और उन्हें छुट्टी पर भेजने के केंद्र के फैसले के खिलाफ दाखिल वर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रही उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. आज इस मामले पर हुई सुनवाई में अदालत ने कहा कि सरकार की कार्रवाई के पीछे की भावना संस्थान के भले की होनी चाहिए. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उन्हें बताया है कि जिन परिस्थितियों में ये हालात उपजे थे, उनकी शुरूआत जुलाई में ही हो गई थी.

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सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने कहा कि, सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच लड़ाई एक रात्रि में शुरू नहीं हुई. ऐसे में सरकार ने चयन समिति से विचार विमर्श किए बिना कैसे सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को उनकी शक्तियों से वंचित कर दिया? महाधिवक्ता ने शीर्ष अदालत को बताया कि सीवीसी इस नतीजे पर पहुंची है कि एक असाधारण स्थिति पैदा हो गई थी और असाधारण परिस्थितियों के लिए कभी-कभी असाधारण उपचार की जरूरत पड़ती है. महाधिवक्ता ने कहा कि सीवीसी जांच का आदेश निष्पक्ष पारित किया गया था, दोनों वरिष्ठ अधिकारी आपस में लड़ रहे थे और गंभीर मसलों की जांच करने की बजाए एक-दूसरे के खिलाफ जांच कर रहे थे, ऐसे में सीवीसी की उपेक्षा करना कर्तव्य का अपमान होगा, यदि सीवीसी कार्रवाई नहीं करती है तो वह राष्ट्रपति और उच्चतम न्यायालय के प्रति जवाबदेह होती है.'

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अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि, 'सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा का ट्रांसफर नहीं किया गया था और यह उनके द्वारा दी गई कृत्रिम दलील थी कि उन्हें स्थानांतरित कर दिया गया है. यह स्थानांतरण नहीं था बल्कि दोनों अधिकारियों को उनके कार्यों और प्रभार से वंचित किया गया था.' आलोक वर्मा के वकील फली एस नरीमन ने कहा, 'सभी परिस्थितियों में उन्हें चयन समिति से राय लेनी चाहिए थी. इस मामले में स्थानांतरण का मतलब सेवा न्यायशास्र में हस्तांतरण नहीं है, हस्तांतरण का मतलब मात्र एक स्थल से दूसरे स्थल पर होना नहीं होता है. संविधान के मुताबिक जैसे भारत का मुख्य नयायधीश, कार्यवाहक न्यायाधीश नहीं हो सकता, मुख्य न्यायधीश ही होता है ठीक वैसे ही परिस्थिति यहां भी है, सरकार कार्यवाहक मुख्य निदेशक नहीं रख सकती.'

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रंजन गोगोई ने नरीमन से कहा कि, 'यदि कोई परेशानी है तो क्या सुप्रीम कोर्ट एक कार्यवाहक निदेशक को नियुक्त कर सकती है?' इसपर उन्होंने कहा, 'हां सर्वोच्च न्यायालय ऐसा कर सकती है क्योंकि संविधान का अंतिम निर्णय न्यायालय का है.' सीवीसी ने अदालत को बताया कि सीवीसी ने जांच शुरू की थी, लेकिन सीबीआई निदेशाक आलोक वर्मा ने महीनों तक दस्तावेज प्रदान नहीं किए. विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने न्यायालय से कहा था कि, 'निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी जांच को सरकार तर्कपूर्ण अंजाम तक ले जाए.' अस्थाना के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, 'इस मामले में व्हिसल ब्लोवर रहे सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ भी सरकार ने वैसा ही व्यवहार किया है.

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