बीजिंग : भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि चीनी नेतृत्व के साथ उनकी सरल, रचनात्मक तथा मित्रवत बातचीत हुई और दोनों ही पक्ष सीमा विवाद के उचित, व्यवहारिक तथा पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर सहमत हैं, जिसने कई दशकों से द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित किया है। मोदी ने चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग से बातचीत के बाद यहां मीडिया को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि ली और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत में द्विपक्षीय सहयोग बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा रहा। मोदी ने कहा कि उन्होंने इस बात पर जोर डाला कि चीन को कुछ मुद्दों पर अपने रुख को लेकर विचार करने की जरूरत है, जो दोनों के संबंध की संभावनाओं को पहचानने से रोक रहे हैं। उन्होंने कहा, "मैंने सुझाव दिया कि चीन को हमारे साथ संबंध के लिए रणनीतिक और दीर्घकालीक सोच रखना चाहिए।"
सीमा मुद्दे पर उन्होंने कहा, "दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि हमें सीमा विवाद के उचित, व्यवहारिक तथा पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की जरूरत है और दोनों पक्षों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के सभी प्रयास को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दोहराया।" उन्होंने कहा, "हमने इस मुद्दे पर अपनी चिंता को लेकर संवेदनशीलता और भरोसा बहाली के उपायों में रुचि को महसूस किया।
मैंने इस संबंध में 'लाइन ऑफ एक्चुएल कंट्रोल' के महत्व को भी दोहराया।" मोदी ने कहा कि उन्होंने वीजा नीति और सीमा-पार नदियों से जुड़े मुद्दे पर वास्तविक प्रगति की मांग की। प्रधानमंत्री ने कहा, "हम इस बात पर सहमत हुए कि जैसे-जैसे हम बढ़ रहे हैं, हमें एकदूसरे के हित के लिए संवेदनशील होना चाहिए, एकदूसरे में विश्वास बढ़ाना चाहिए, परिपक्वता के साथ मतभेदों को दूर करना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "हमने अपनी आर्थिक साझेदारी के लिए उच्च स्तरीय महात्वाकांक्षा रखी है।" प्रधानमंत्री ने कहा कि चेंगडु और चेन्नई में वाणिज्य दूतावास शुरू करने के फैसले से यह नजर आता है कि एक-दूसरे पर भरोसा और द्विपक्षीय संबंधों को विस्तार देने की प्रतिबद्धता बढ़ रही है। मोदी ने कहा, "यह बेहद लाभदायी और सकारात्मक यात्रा रही है। मैं शी और ली के साथ काम करने को लेकर उत्सुक हूं।"