मुस्लिम-ईसाई समेत 6 अल्पसंख्यक समुदायों को माइनॉरिटी सर्टिफिकेट प्रदान करेगी असम सरकार, जानिए वजह
मुस्लिम-ईसाई समेत 6 अल्पसंख्यक समुदायों को माइनॉरिटी सर्टिफिकेट प्रदान करेगी असम सरकार, जानिए वजह
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गुवाहाटी: असम में अल्पसंख्यकों को माइनॉरिटी सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा। असम कैबिनेट में मंत्री केशब महंता ने इस संबंध में जानकारी दी है। दरअसल, रविवार को सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कैबिनेट मीटिंग की थी। इसी बैठक में अल्पसंख्यकों को माइनॉरिटी सर्टिफिकेट जारी करने का निर्णय लिया गया है। बैठक के बाद केशब महंता ने बताया कि मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म के लोगों को माइनॉरिटी सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा। बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार, असम में सर्वाधिक 61.47 फीसद आबादी हिंदुओं की है। उनके बाद 34.22% मुस्लिम का नंबर है, वहीं, राज्य में 3.74% ईसाई हैं  जबकि सिख (0.07%), बौद्ध (0.18%) और जैन (0.08%) हैं।

केशब महंता ने दावा किया कि ये पहली दफा है, जब अल्पसंख्यकों को इस प्रकार के सर्टिफिकेट प्रदान किए जाएंगे। इससे पहले किसी प्रदेश में ऐसे सर्टिफिकेट जारी नहीं हुए हैं। हालांकि, उन्होंने बताया कि इसकी रूपरेखा पर अभी काम जारी है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि असम में माइनॉरिटी को ये सर्टिफिकेट क्यों दिए जाएंगे? इसका जवाब भी केशब महंता ने दिया है। उन्होंने बताया कि इससे अल्पसंख्यकों की पहचान करने में आसानी होगी। उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यकों के लिए ढेर सारी योजनाएं चल रही हैं, उनके लिए अलग से विभाग है, मगर अल्पसंख्यक कौन हैं? इसकी पहचान नहीं है। इसलिए उनकी पहचान करना आवश्यक है, ताकि योजनाओं का फायदा उन तक पहुंचाया जा सके।

बता दें कि, अल्पसंख्यक कौन होगा? इसका निर्णय केंद्र सरकार करती है। अल्पसंख्यक वो समुदाय होता है, जिसे केंद्र सरकार अधिसूचित करती है। केंद्र ने 1993 में मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी और बौद्ध को अल्पसंख्यक का दर्जा प्रदान किया था। 2014 में जैन धर्म को भी अल्पसंख्यक मान लिया गया। अभी इन 6 धर्मों के लोगों को ही अल्पसंख्यकों का दर्जा मिला हुआ है। बता दें कि हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक की कोई परिभाषा नहीं है। हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय में अपने हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि किसी राज्य में अगर किसी धर्म या भाषा के आधार पर लोगों की आबादी 50 फीसद से कम है, तो उसे अल्पसंख्यक माना जाएगा। भारत के संविधान में अनुच्छेद 29 और अनुच्छेद 30 में उन लोगों के लिए कुछ विशेष प्रावधान किए गए हैं, जो भाषा और धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक हैं।

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