ओवैसी का बड़ा सवाल, कहा जब धारा 377 और 497 जुर्म नहीं तो तीन तलाक़ जुर्म क्यों ?
ओवैसी का बड़ा सवाल, कहा जब धारा 377 और 497 जुर्म नहीं तो तीन तलाक़ जुर्म क्यों ?
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हैदराबाद: सुप्रीम कोर्ट के 5 न्यायाधीशीय खंडपीठ के व्यभिचार पर दंड प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करने के कुछ समय बाद ही ऑल इंडिया  मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असाउद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राजनीतिकरण करते हुए अदालत से मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए, तीन तलाक़ अध्यादेश को रद्द करने की मांग की है. ओवैसी ने कहा है कि धारा 377 और धारा 497 को अपराध की श्रेणी से हटाने के बाद अदालत ट्रिपल तलाक़ को अपराध की श्रेणी से क्यों नहीं हटाती ?

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ओवैसी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मेरी राय यह है कि ट्रिपल तालक अध्यादेश को न्यायालय में चुनौती दी जानी चाहिए क्योंकि यह धोखा है, अध्यादेश के पहले पृष्ठ में, सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक कहा है, लेकिन शीर्ष अदालत ने ऐसी कोई बात नहीं कही है. एक अन्य ट्वीट में ओवैसी ने कहा है कि 'समलैंगिकता जुर्म नहीं है, विवाह के इतर संबंध भी जुर्म नहीं है लेकिन तीन तलाक़ जुर्म है, वाह क्या इन्साफ है आपका.' 

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आपको बता दें कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचुद और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ​​के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशीय संविधान खंडपीठ ने आज अहम् फैसला सुनाते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है. इस धारा के अंतर्गत विवाह से इतर संबंध बनना अपराध माना जाता था. 

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