वकालत से संसद तक तय किया सफलता का सफर
वकालत से संसद तक तय किया सफलता का सफर
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नई दिल्ली। ऐसा समय जब अर्थव्यवस्था बेपटरी हो गई हो। जब महंगाई से लोग परेशान हों। भ्रष्टाचार किए बिना कोई काम न होता हो। मगर फिर भी जनता के लिए अनुकूल बजट लाया जाना हो ऐसे समय किस तरह से राजस्व की वसूली की जाए और जनता को किन वस्तुओं पर कम दाम देने की सुविधा दी जाए। यह तो एक कुशल अर्थशास्त्री ही बता सकता है।

इस तरह का जटिल काम बेहद आसानी से करने वाले और देशहित में बजट लाने वाले नेता बिरले ही होते हैं इन नेताओं में से एक हैं केंद्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली। जी हां, अरूण जेटली भारतीय राजनीति के गलियारे में चलते और संसद की सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते 63 वर्ष में पहुंच चुके हैं। केंद्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी के भरोसेमंद और वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं।

दरअसल भारतीय जनता पार्टी के लिए अरूण जेटली एक बड़ा और भरोसेमंद चेहरा बन गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष मंत्रियों में वित्तमंत्री अरूण जेटली भी शामिल हैं। दरअसल अरूण जेटली स्वयं एक अच्छे वकील हैं और वे एक वकील परिवार में जन्मे हैं। उन्होंने श्री राम काॅलेज आॅफ काॅमर्स से स्नातक किया और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से विधि में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

वे दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्र इकाई के अध्यक्ष रहे हैं। आपातकाल के दौरान वे जेल पहुंचे और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से भेंट की। केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली जनसंघ से जुड़े थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वे संगठन के राष्ट्रीय सचिव नियुक्त हुए। अरूण जेटली सर्वोच्च न्यायालय में वकालत करते थे।

कुछ समय में वे एक अच्छे वकील बने। मगर यहीं पर उनका सफर ठहरा नहीं वर्ष 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ और फिर अरूण जेटली इसमें राज्य मंत्री बनाए गए। वे क्रिकेट के प्रमुख संगठन बीसीसीआई के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। उन्होंने कानून, सूचना प्रसारण के ही साथ विनिवेश जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय का जिम्मा सौंपा।

भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता प्रमोद महाजन की मृत्यु से भाजपा में एक बड़ा स्थान रिक्त हो गया था। भाजपा ने इस स्थान पर जेटली को चुना और उन्हें भाजपा का प्रमुख रणनीतिकार बनाया गया। वर्ष 2009 में जेटली ने भाजपा के प्रमुख नेता के तौर पर खुद को सामने रखा।

जेटली का प्रभाव संगठन में बढ़ता चला गया और वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जेटली को अपनी सीट से समझौता करना पड़ा लेकिन उन्हें भाजपा ने अमृतसर लोकसभा सीट से टिकट दिया और यहां उन्होंने कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह को हराया। अब वे वित्तमंत्री के तौर पर नोटबंदी जैसे मसले का प्रबंधन कर रहे हैं।

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