चंद्रो तोमर कैसे बनीं शूटर दादी ? पढ़ें चूल्हे-चौके से लेकर रिवाल्वर तक कैसा रहा सफर
चंद्रो तोमर कैसे बनीं शूटर दादी ? पढ़ें चूल्हे-चौके से लेकर रिवाल्वर तक कैसा रहा सफर
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नई दिल्ली: यूपी की बुजुर्ग महिला हैं जो शूटर दादी या रिवॉल्वर दादी के नाम से प्रसिद्ध हैं। इस महिला का असली नाम चंद्रो तोमर है। चंद्रो तोमर का जन्म 1 जनवरी 1932 में शामली जिले में हुआ था। चंद्रो तोमर के पति का नाम भोर सिंह तोमर था। चन्द्रो विवाह के पश्चात बागपत में बस गईं, जहां उनके देवर से प्रकाशी तोमर का विवाह हुआ और दोनों देवरानी-जेठानी का प्रेमपूर्ण रिश्ता बन गया।

चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर दोनों की आधी उम्र तो गृहणी बने रहते ही गुजर गयी। घर परिवार सम्भालना, बच्चे पालना और चूल्हा चौका करना यही उनका पूरा जीवन था। हालांकि, समय बदला दोनों पूरी दुनिया में शूटर दादी के नाम से विख्यात हो गईं। दरअसल, प्रकाशी तोमर की बेटी शूटिंग सीखना चाहती थीं। प्रकाशी, दोनों दादियों को भी रोजरी रायफल क्लब में ले गईं और बेटी का मनोबल बढ़ाने के लिए पिस्टल हाथ मे थाम फायरिंग कर दी। किस्मत थी या लक्ष्य भेदने की चाह से, निशाना सटीक लगा, जिसके बाद रोजरी क्लब के कोच ने प्रकाशी को ही क्लब जॉइन करने के लिए कहा।

जब उन्होंने निशानेबाजी आरंभ की, तो प्रकाशी 65 वर्ष की थीं। परिवार इसके पक्ष में नहीं था, तो वह छिप छिप के निशानेबाजी का प्रशिक्षण लेने जाती थीं। इस कार्य में उनका साथ दिया प्रकाशी के जेठानी चन्द्रो ने। दोनों ने निशानेबाजी की ट्रेनिंग आरंभ की, तो लोग उनका तरह तरह से मज़ाक बनाने लगे। मगर, उन सब की बोलती तब बन्द हो गयी जब दिल्ली में निशानेबाजी के मुकाबले में शूटर दादी ने दिल्ली के DIG को ही शूटिंग में हराकर स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद वह प्रतियोगिता में हिस्सा लेने लगीं और प्रसिद्ध होने लगीं। वरिष्ठ नागरिक वर्ग में इस जोड़ी को कई अवार्ड से नवाज़ा जा चुका है। खुद राष्ट्रपति की तरफ से इन्हें स्त्री शक्ति सम्मान से सम्मानित किया है।

बता दें कि चंद्रो तोमर ने अपने नाम पर कई मेडल भी जीते। वर्ष 2019 में बनी मूवी सांड की आंख चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर के जीवन पर आधारित है। इस मूवी में तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर ने देवरानी और जेठानी का किरदार निभाया था। लेकिन बीते वर्ष आज ही के दिन कोरोना महामारी के चलते चंद्रो तोमर ने दुनिया को अलविदा बोल दिया। 

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