जुर्माने पर श्री श्री रविशंकर ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
जुर्माने पर श्री श्री रविशंकर ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
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नई दिल्ली : विश्व सांस्कृतिक उत्सव के दौरान यमुना को प्रदूषित करने के नाम पर आर्ट ऑफ लिविंग पर जुर्माना लगाए जाने पर श्री श्री रविशंकर ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. एक बयान में उन्होंने यह भी कहा कि अगर यमुना इतनी ही नाजुक है तो विश्व सांस्कृतिक उत्सव के आयोजन की अनुमति ही नहीं दी जानी चाहिए थी. जुर्माना तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार और नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) पर लगना चाहिए, हमने तो इस कार्यक्रम के लिए सभी संबंधित निकायों व विभागों की मंजूरी ली थी. ऐतिहासिक आयोजन के लिए तो प्रशंसा मिलनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा लगता है कि जैसे कोई अपराध कर दिया गया हो.

आर्ट ऑफ़ लिविंग के गुरु श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि एनजीटी को तो दो माह पहले ही स्वीकृति के लिए आवेदन भेज दिया गया था. अगर वे चाहते तो इस आयोजन को रोक भी सकते थे. उन्होंने यह भी कहा कि अगर यमुना इतनी ही नाजुक है तो विश्व सांस्कृतिक उत्सव के आयोजन की अनुमति ही नहीं दी जानी चाहिए थी. यमुना को बचाने के उद्देश्य से ही कार्यक्रम के लिए वायु और जल प्रदूषण फैलाए बगैर यमुना बेल्ट में सात एकड़ का स्टेज बनाया गया और लोगों की आवाजाही के लिए पंटून पुल भी बनाया गया. विश्व भर में 18 करोड़ लोग इस आयोजन के गवाह बने.

श्रीश्री ने अपने संगठन के कार्यों का उल्लेख कर कहा कि जिस आर्ट ऑफ लिविंग ने 27 नदियों को पुनर्जीवित किया है, 71 मिलियन पेड़ लगाए हैं और अनेक तालाबों का भी जीर्णोद्धार किया है, उसे मृतप्राय: यमुना को नष्ट करने वाला बताया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि जिस जगह यह कार्यक्रम किया गया, वहां स्थायी निर्माण किए जा रहे हैं. कई टन मलबा पड़ा है, लेकिन तथाकथित पर्यावरण विशेषज्ञ मौन हैं.इससे यह साबित हो जाता है कि आर्ट ऑफ लिविंग पर लगाया गया जुर्माना दुर्भावना से प्रेरित है.

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