जन्मदिन विशेष : अमिताव घोष हैं एक बहुमुखी लेखक, मिल चुके है ये बड़े सम्मान
जन्मदिन विशेष : अमिताव घोष हैं एक बहुमुखी लेखक, मिल चुके है ये बड़े सम्मान
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अपनी जबरदस्त लेखन शैली के लिए मशहुर भारतीय अंग्रेजी लेखक अमिताव घोष का जन्म वर्ष 1956 में कलकत्ता में हुआ था. अमिताव घोष के पिता सेना में लेफ्टिनेंट-कर्नल थे, जिसकी वजह से, उन्हें दुनिया के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करनी पड़ती थी. इस प्रकार अमिताव घोष बांग्लादेश, श्रीलंका, ईरान, मिस्र, भारत और यूनाइटेड किंगडम में पले बढ़े और वहीं से शिक्षा प्राप्त की. अमिताव ने दून स्कूल, देहरादून से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की थी और बाद में उच्च शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया. अमिताव घोष ने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद अमिताव ने दिल्ली विश्वविद्यालय से ही समाजशास्त्र में परास्नातक किया. अमिताव ने अपनी मास्टर्स ऑफ आर्ट्स की डिग्री (एम.ए.) को पूरा करने के बाद, इंस्टीट्यूट बोरगुइबा देश लैंग्यूस विवानेंट्स ट्यूनिस, ट्यूनीशिया से अरबी में डिप्लोमा प्राप्त किया. फिर अमिताव घोष ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गए, जहाँ उन्होंने सामाजिक मानविकी में डिप्लोमा हासिल किया और वर्ष 1982 में उसी विषय में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की.

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अमिताव घोष एक बहुमुखी लेखक हैं और इन्होंने अपने उपन्यासों के लिए कई साहित्यिक पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं. अमिताव घोष की पहली उपन्यास, ‘द सर्किल ऑफ रीजन’ ने फ्रांस के शीर्ष साहित्यिक पुरस्कारों में से एक प्रिक्स मेडिसिस एट्रेंजेर पुरस्कार को जीतने में सफल हुआ है. अमिताव घोष के दूसरे उपन्यास ‘दि शैडो लाइन्स’ को वर्ष 1990 में भारत का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था. उसी किताब के लिए उन्हें कलकत्ता में अनंदा पुरस्कार दिया गया था. अमिताव घोष की किताब ‘कलकत्ता क्रोमोजोम’ को वर्ष 1997 में आर्थर सी.क्लार्क पुरस्कार मिला था. अमिताव घोष के उपन्यास ‘ग्लास पैलेस’ ने वर्ष 2001 में फ्रैंकफर्ट इंटरनेशनल ई-बुक अवॉर्ड में भव्य पुरस्कार जीता था. अमिताव घोष ने एक और उपलब्धि हासिल की, जब उन्होंने केन्योन रिव्यू में प्रकाशित अपने एक निबंध के लिए वर्ष 1999 में एक अग्रणी साहित्यिक पुरुस्कार ‘पुस्कार्ट प्राइज’ जीता था. 

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उन्होने अपने कलाकरति उपन्यास के अलावा, अमिताव घोषने कल्पनारहित लेखन भी किया है. अमिताव घोष के प्रमुख कल्पना रहित लेखन में भारत की परमाणु नीति पर एक पुस्तक ‘काउंट डाउन’, ‘इमाम एंड द इंडियन’, उपन्यास का इतिहास जैसे विभिन्न विषयों पर निबंध संग्रह, इजिप्ट कल्चरएंड लिटरेचर और डांसिंग इन कंबोडिया तथा एट लार्ज इन बर्मा शामिल हैं. अमिताव घोष को भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया है. वर्तमान में अमिताव घोष न्यूयॉर्क में अपनी पत्नी डेबोराह बाकेर के साथ रह रहे हैं, जो एक चरमपंथी लेखिका हैं. वह द् लाइफ ऑफ लौरा राइडिंग और लिटिल ब्राउन एंड कंपनी की एक वरिष्ठ संपादक के रूप में कार्यरत हैं. अमिताव घोष न्यूयॉर्क के सिटी यूनिवर्सिटी के क्वींस कॉलेज में तुलनात्मक साहित्य विभाग के एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर के रूप में शामिल हुए. वर्ष 1995 से अमिताव घोष हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग में विजिटिंग प्रोफेसर है.

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