'टास्क' को पूरा नहीं करने वाले सांसद टिकट से हो सकते हैं वंचित
'टास्क' को पूरा नहीं करने वाले सांसद टिकट से हो सकते हैं वंचित
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लखनऊ - यूपी में भाजपा के 71 सांसदों को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के टास्क ने चिंता में डाल दिया है.शाह का कहना है कि यूपी में होने वाले आगामी विधान सभा चुनाव में प्रत्येक सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र की तीन विधान सभा सीटों से भाजपा प्रत्याशी को जीत दिलानी ही होगी , अन्यथा 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होना है, इस प्रदेश को अपने खाते में जोड़ने के लिए अमित शाह काफी गंभीर हैं. उनकी गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के सांसदों को एक ‘टास्क’ दिया है. इस ‘टास्क’ के अनुसार हर सांसद को अपने इलाके के तीन विधानसभा क्षेत्रों में आगामी विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करनी होगी, जो सांसद विधानसभा की तीन सीट पर जीत दर्ज नहीं करवा पायेंगे, उन्हें वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया जायेगा. पार्टी अध्यक्ष शाह ने प्रदेश के सांसदों को यह टास्क सख्त हिदायत के साथ दिया है.

यहां यह उल्लेख प्रासंगिक है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी ने महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और असम में फतह हासिल की है और अगला लक्ष्य उत्तर प्रदेश है.अमित शाह इस प्रदेश को अपने खाते में जोड़ने के लिए बहुत गंभीर है.यूपी विधानसभा में बीजेपी की जीत के साथ ही कई अन्य मकसद भी पूरे होंगे इसलिए यहां बीजेपी ज्यादा गंभीरता दिखा रही है.

उत्तर प्रदेश को फतह करने के लिए भाजपा ने जो योजना बनाई है उसके अनुसार उत्तर प्रदेश में भाजपा के 71 सांसद हैं और अगर यह 71 सांसद तीन विधानसभा सीट पार्टी के लिए सुनिश्चित करते हैं, तो पार्टी के खाते में 213 विधानसभा सीट आ जायेगी जो बहुमत के आंकड़े से अधिक है. ऐसे में पार्टी के लिए प्रदेश में सरकार बनाना बहुत आसान हो जायेगा.याद रहे कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुल 403 सीट के लिए मतदान होता है, बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को 203 सीट की जरूरत होती है.

बता दें कि एक संसदीय इलाके में औसतन पांच विधानसभा सीट हैं, जिनमें तीन पर विजय प्राप्त करना एक सांसद का लक्ष्य इस बार के विधानसभा चुनाव में होगा.तीन विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करने लिए सांसदों को अपने इलाके पर ध्यान देना होगा, जिससे उनका अपना संसदीय क्षेत्र से संपर्क नहीं टूटेगा. आैर, विधानसभा में यह फार्मूला सफलतापूर्वक लागू होने पर 2019 में लोकसभा चुनाव की उनकी राह भी आसान कर देगा.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि अमित शाह अपनी दूरदर्शिता का परिचय दे रहे हैं और सांसदों पर नकेल कस रहे हैं, ताकि आगामी लोकसभा चुनाव में उन्हें ‘एंटी इनकमबेंसी फैक्टर’ का सामना ना करना पड़े, जो अधिकतर मौकों पर पार्टी की हार का एक बड़ा कारण बनता है.

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