कर्नाटक में खींचतान के बीच छत्तीसगढ़ में शुरू हुई ढाई-ढाई साल CM की चर्चा, टीएस सिंहदेव ने दिया बड़ा बयान
कर्नाटक में खींचतान के बीच छत्तीसगढ़ में शुरू हुई ढाई-ढाई साल CM की चर्चा, टीएस सिंहदेव ने दिया बड़ा बयान
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रायपुर: कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को मिली प्रचंड जीत के बाद CM के चेहरे को लेकर जारी खींचतान के बीच एक बार फिर छत्तीसगढ़ के ढाई-ढाई साल के सीएम की चर्चा फिर उठने लगी है। सूबे के कद्दावर मंत्री और कांग्रेस नेता टी एस सिंहदेव ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्होंने इस फॉर्मूले को लेकर कभी भी कोई राय प्रकट नहीं की है। न कभी हां कहा और न कभी ना कहा।

बता दें कि, छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की थी और डेढ़ दशक से सत्ता पर काबिज भाजपा को बाहर किया था। उस समय कांग्रेस में CM पद के लिए 2 बड़े दावेदारों के नाम सामने आए थे। एक, भूपेश बघेल और दूसरे टीएस सिंहदेव। आखिरकार बघेल को राज्य की कमान सौंपी गई और उस दौरान सियासी गलियारों में यह चर्चा जमकर चली थी कि छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के CM के फॉर्मूले पर पार्टी आलाकमान ने मंजूरी दे दी है, लेकिन खुलकर कभी भी किसी नेता ने इस फॉमूर्ले का खुलासा नहीं किया।

अब कर्नाटक में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री को लेकर पेंच फंसा है, तो छत्तीसगढ़ में भी ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री की चर्चाओं को हवा मिल गई हैं। सूबे में ढाई-ढाई साल के सीएम को लेकर लंबे अरसे से चल रही चर्चाओं के मसले पर सिंहदेव ने कहा है कि, ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री की चर्चा चली मीडिया में, स्पैक्युलेशन हुआ, जैसा फ़िलहाल कर्नाटक में हो रहा है, लेकिन किसी ने तो यह बात नहीं कही। शेयरिंग की बात आई, जिस दिन से छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हुआ, उसी दिन से मीडिया में यह बात चर्चा में आई। अब यह तो मीडिया ही बताए कि उनके क्या स्रोत हैं। मैंने तो कभी भी नहीं कहा कि ढाई साल की बात थी और कभी ऐसा भी नहीं कहा कि ढाई साल की बात नहीं थी।

उन्होंने आगे कहा कि मैंने हमेशा यही बात कही है कि यह सब पार्टी आलाकमान ही फैसला करता है, यह फैसले हाईकमान स्तर के हैं और वही तय करते हैं। हां यह भी सही है कि कहीं भी यह नहीं होता कि CM का टर्न लिखा होता है। हमने सीएम बदलते भी देखे हैं। कई सीएम डेढ़ दशक तक रहे और कोई एक दशक तक।  शीला दीक्षित और दिग्विजय सिंह इसकी मिसाल हैं। वहीं कांग्रेस में एक टर्न में तीन सीएम देखें, भाजपा में भी देखे हैं। सभी पार्टियों में कोई तय नहीं रहता, स्पैक्यूलेशन रहता है कि फर्स्ट रनर यह थे, इनमें से शेयरिंग हो सकती है। वह चल पड़ता है, ढाई-ढाई वर्ष का चल पड़ा और जमकर चला।

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