एक सप्ताह से जारी हिंसा को लगाम लगाने के लिए अमेरिका और तालिबान ने सहमति जताई है. इस कदम से दोनो देशों को फायदा होने वाला है. माना जा रहा कि इस वजह से अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का मार्ग प्रशस्त हो सकता है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ की एक रिपोर्ट के अनुसार कतर की राजधानी दोहा में लंबी बातचीत के बाद शुक्रवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ एंवं रक्षा सचिव मार्क ग्रैफ और अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच हुई एक बैठक के बाद की गई.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि ट्रंप प्रशासन की यह पहल 18 साल से अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सैनिकों की वापसी की राह में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है. यह उम्मीद जताई गई है कि यह वार्ता अमेरिकी सैनिकों की वापसी का मार्ग प्रशस्त कर सकती है. अमेरिकी अधिकारी के अनुसार शांति समझौता एक राष्ट्रव्यापी युद्धविराम का आह्वान करेगा. अधिकारी ने कहा कि अफगान सरकार और तालिबान के बीच वार्ता के बाद अमेरिकी सैनिकों के वापसी की समय सारणी निर्धारित की जाएगी. इसमें तालिबान से आतंकवादी समूहों को परेशान नहीं करना भी शामिल है.
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लगातार हो रही हिंसा को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कटौती के प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए आशा व्यक्त की है कि इसे फलिभूत होने का समय आ गया है. यह समयावधि एक साथ पूरे अफगानिस्तान में लागू होगी. शुक्रवार को एक अमेरिकी अधिकारी ने उम्मीद जताई कि हिंसा में कटौती के प्रस्ताव का तालिबान अक्षरश: पालन करेगा. तालिबान ने तो कहा है कि समयावधि शुरू हो गई है लेकिन अमेरिका ने कहा है कि यह अवधि अभी शुरू नहीं हुई है. उन्होंने कहा है हिंसा में कटौती का प्रस्ताव बहुत सीमित और उद्देश्यपरक है, जिस पर अब कोई गुंजाइश नहीं बची है.
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