दिल की बीमारी के इलाज के लिए नई तकनीक की हुई खोज, जाने
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अपनी कड़ी मेहनत के बल पर शोधकर्ताओं ने मानव शरीर की वसा कोशिकाओं को फिर से प्रोग्राम करके उसे हृदय के पेसमेकर सेल की तरह बनाया है, जो लयबद्ध इलेक्टिक इंपल्स (विद्युत आवेग) के जरिये हृदय की गति को नियंत्रित कर सकता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि इस तरह से हृदय के उपचार की एक नई विधि का पता चला है. शोध करने वाली टीम में एक भारतीय मूल की शोधकर्ता भी शामिल हैं. ‘मॉलीक्युलर एंड सेलुलर कार्डियोलॉजी’ में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि नई पेसमेकर जैसी कोशिका हृदय अनियंत्रित रहने की बीमारी की एक वैकल्पिक उपचार बन सकती है और कृत्रिम इलेक्ट्रॉनिक पेसमेकर प्रत्यारोपण जैसे वर्तमान उपचारों की सीमाओं को और विस्तार दे सकती है.

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इस मामले को लेकर जर्नल ऑफ जेरिएटिक कार्डियोलॉजी में प्रकाशित हुए एक अन्य अध्ययन के अनुसार, प्रत्येक वर्ष वैश्विक रूप से एक लाख से अधिक कृत्रिम पेसमेकर रोगियों में प्रत्यारोपित किए जाते हैं. इस डिवाइस को छाती में फिट किया जाता है. यह विद्युत आवेग के जरिये हार्ट बीट को सामान्य बनाए रखता है. हालांकि, समय-समय पर चिकित्सकों द्वारा इस डिवाइस की जांच जरूरी होती है क्योंकि ऐसी आशंका रहती है कि एक समय के बाद यह काम करना बंद कर सकती है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वर्तमान अध्ययन में अमेरिका की ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी की भारतीय मूल की शोधकर्ता सुचि रघुनाथन ने अन्य शोधार्थियों के साथ मिलकर स्टेम कोशिकाओं को हृदय की कोशिकाओं में बदल दिया. ये कोशिकाएं विद्युत प्रवाह (इलेक्टिक करंट) का संचालन भी कर सकती हैं. इससे पहले एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने मानव शरीर की वसा कोशिकाओं में रहने वाले स्टेम कोशिकाओं को कार्डियक प्रोजेनिटर सेल्स में बदला था. वर्तमान अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया कि कार्डियक प्रोजेनिटर सेल्स को फिर से प्रोग्राम कर दिल की धड़कन बनाए रखी जा सकती है.

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