इलाहाबाद: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने उतर प्रदेश सरकार से मुसलमानों की शादियों के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता के बारे में जानकारी मांगी है। कोर्ट ने यूपी सरकार के अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख सचिव से इस संबंध में कोर्ट में जलफनामा दाखिल करने को कहा है। साथ ही अदलात ने यह भी पूछा है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीमा बनाम अश्विनी कुमार केस में दिए गए फैसले पर क्या कदम उठाया है।
कोर्ट ने कानपुर की रोशनी द्विवेदी उर्फ रोशनी रिजवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उपरोक्त बातें कही। याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्र ने कहा कि याचिकाकर्ता का कहना है कि वो बालिग है औऱ उसने अपनी मर्जी से मुस्लिम युवक से विवाह किया है।
रोशी ने हाइकोर्ट से मांग की है कि उसके शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन में कोई भी खलल न डालें। इस पर कोर्ट ने भी याची से सवाल किया कि उसने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत अपने विवाह का पंजीकरण कराया है या नहीं। इस पर याची के वकीलों ने कहा कि उनके हिसाब से निकाह ही काफी है।
इसका रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद उच्च न्यायलय ने राज्य सरकार के अल्पसंख्यक विभाग के मुख्य सचिव से इस संबंध में जानकारी मांगी है कि वो बताएं कि मुसलमानों के लिए निकाह का पंजीकरण जरुरी है या नहीं। कोर्ट ने याची से कहा कि यदि वो चाहे तो कानपुर एसएसपी को अपनी सुरक्षा के आवेदन दे सकती है।
बता दें कि सीमा बनाम अश्विनी कुमार केस में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने देश के सभी राज्यों को आदेश दिया था कि वो बिना किसी धर्म के भेदभाव के सभी नागरिकों के लिए विवाह के पंजीकरण की अनिवार्यता का नियम बनाएं। इसी के बारे में पूछते हुए इलाहाबाद हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि उसने आदेश का पालन किया है या नहीं।