लखनऊ : उतर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों से जुड़ी रिपोर्ट में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को क्लीन चिट दे दी गई है। रविवार को विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में समाजवादी पार्टी ने कई महत्वपूर्ण कागजात भी रखे। इसमें सहाय रिपोर्ट भी रखी गई जिसने 2013 में मुजफ्फनगर दंगों के लिए अखिलेश सरकार को न सिर्फ क्लीन चिट दी, बल्कि बीजेपी और बीएसपी नेताओं को दोषी ठहराए जाने के साथ इस मामले से निपटने के लिए सरकार के कदम की तारीफ भी की।
स्थिति को सही से हैंडल न करने औऱ उसे ठीक से न समझ पाने के कारण स्थानीय पुलिस और प्रशासन को दोषी ठहराया गया है। रिपोर्ट में तत्कालीन सीनियर सुपरिटेंडेट ऑफ पुलिस सुभाष चंद्र दुबे और इंस्पेक्टर प्रबल प्रताप सिंह को सीधे-सीधे दंगो के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
जांच के लिए सदस्यीय जांच आयोग 9 सितंबर 2013 को गठित की गई थी। मुजफ्फरनगर में हुए दंगे 13 दिनों तक चले थे और जांच रिपोर्ट सौंपने में कुल 2 साल का वक्त लगा। इस रिपोर्ट को पहले राज्यपाल राम नाइक को सौंपा गया था और उसके करीब 6 महीने के बाद अब इसे सार्वजनिक किया गया है। बीजेपी इस रिपोर्ट को पहले ही यह कहकर खारिज कर चुकी है कि यह राजनीति से प्रेरित है।
मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों के सिलसिले में जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ नेताओं ने प्रदेश में खूनी संघर्ष कराने के उद्देश्य से इसे यू ट्यूब पर वायरल किया गया। सदन में इसके अलावा नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की चार रिपोर्ट तथा अलीगढ़ के टप्पल में किसानों पर हुई फायरिंग की जांच रिपोर्ट भी रखी गई।
विधान सभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने बताया कि कैग द्वारा 31 मार्च 2015 को सौपी चार रिपोर्ट, मुजफ्फनगर में हुए वर्ष 2013 में हुए दंगों तथा अलीगढ़ के टप्पल हुए फायरिंग की रिपोर्ट सदन में रखे गये।