बस्तर पहुंचकर बोले CM बघेल- 'यहां पर आदिवासियों की जमीनें छीन ली गई थीं'
बस्तर पहुंचकर बोले CM बघेल- 'यहां पर आदिवासियों की जमीनें छीन ली गई थीं'
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बस्तर: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के जगदलपुर मुख्यालय में बृहस्पतिवार को 'भरोसे का सम्मेलन' समारोह आयोजित किया गया। इस के चलते सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि बस्तर में पहले गोलियां चलती थी, आज नौजवानों के गीत गूंजते हैं। पहले बस्तर आने से लोग डरा करते थे। आज बस्तर में रोजगार और नवाचार नजर आ रहा है। वहीं, इस मौके पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि बस्तर की संस्कृति एवं छत्तीसगढ़ में हो रहे नवाचार की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देती है। नेहरू जी एवं इंदिरा जी के दिल में बस्तर के लोगों के लिए विशेष सम्मान था। उन्होंने समारोह में उन्होंने धान खरीदी - लघु वनोपज के एमएसपी मॉडल एवं स्वास्थ्य मॉडल के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की खूब प्रशंसा की।

‘भरोसे का सम्मेलन‘ समारोह में सीएम बघेल ने प्रियंका गांधी की विशेष मौजूदगी में आदिवासियों के तीज त्यौहारों की संस्कृति एवं परंपरा को संरक्षित करने के उद्देश्य ‘मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना‘ का शुभारंभ किया। इसके तहत अनुसूचित क्षेत्रों की ग्राम पंचायत को प्रतिवर्ष 10,000 रुपये की अनुदान राशि दो किस्तों में दी जाएगी। इस मौके पर उन्होंने इस योजना के अंतर्गत 1840 ग्राम पंचायतों को 5-5 हजार रुपये की राशि प्रथम किस्त के तौर पर वितरित की गई। 

बघेल ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यहां पर आदिवासियों की जमीनें छीन ली गई थीं। देश में पहला उदाहरण था, जब हमने लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीनें वापस कराने का काम किया। हम विकास के मार्ग पर चल रहे हैं, बस्तर आगे बढ़ रहा है। लोग योजनाओं का फायदा ले रहे हैं। शिक्षा के जरिए फिर से बस्तर को आगे बढ़ाने का काम चल रहा है। इंदिरा गांधी जब पीएम थीं तब वो बस्तर आई थीं, उन्होंने आदिवासियों को पट्टा दिया था। राहुल गांधी ने आदिवासियों को जमीन का पट्टा वापस दिलाया है। बस्तर के नौजवानों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि दंतेवाड़ा में आज डेनेक्स में कपड़े बनाए जा रहे हैं, ये कपड़े देश दुनिया में जा रहे हैं। हमारी बहनें काम कर रही हैं, आगे बढ़ रही हैं। हमारी सरकार ने लाखों परिवारों को वनाधिकार पट्टा देने का काम किया। यह सम्मेलन आदिवासियों, किसानों, श्रमिकों, माताओं, बच्चों, बस्तर एवं छत्तीसगढ़ के भरोसे का सम्मेलन है। मां दंतेश्वरी माई, बस्तर का दशहरा एवं यहां के आदिवासियों की संस्कृति बस्तर की पहचान है, बस्तर की संस्कृति एवं परंपराओं को संरक्षित करने की दिशा में काम करते हुए हम देवगुड़ियों एवं घोटुलों का निर्माण कर रहे हैं। हमारी योजनाओं से वनांचल क्षेत्रों में किसानों और लघु वनोपज विक्रेताओं, तेंदूपत्ता संग्रहको में सम्पन्नता आई है।

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