एक मुस्लिम कलाप्रेमी ने पाक में बनाया धार्मिक मूर्तियों का अनोखा संग्रहालय
एक मुस्लिम कलाप्रेमी ने पाक में बनाया धार्मिक मूर्तियों का अनोखा संग्रहालय
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लाहौर: यहाँ एक ऐसे मुस्लिम कलाप्रेमी रहते हैं, जिन्होंने अपनी जान को खतरे में डालकर विभिन्न मूर्तियों का एक म्यूजियम (संग्रहालय) बनाया है । इस कला प्रेमी के रेस्तरां के साथ बने म्यूजियम को देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग आते रहते हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी मूर्तियों का यह दुर्लभ कलेक्शन को देखने आ चुके हैं। ​62 वर्षीय इस कलाप्रेमी का नाम हुसैन हैं और उनकी माँ नवाब बेगम एक भारतीय हिन्दू महिला है।  

हुसैन के बारे में अंग्रेजी अखबार 'मेल टुडे' ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। जिसके अनुसार उनकी मां नवाब बेगम भारत में पंजाब के पटियाला व मलेरकोटला कस्बों में रह चुकी है और वे युवा होने तक हिंदू थीं। बाद में वह लाहौर के धर्मपुर इलाके में रहने लगीं और यहीं से उन्हें तवायफ बना दिया गया। हुसैन इस बात की जीती-जागती मिसाल हैं कि कोई सच्चा कला प्रेमी धर्म व मुल्क आदि इंसानों द्वारा बनाये गए विभाजनों को महत्व नहीं देता है। हुसैन का 'कुकूज़ डेन' नाम का रेस्तरां लाहौर फोर्ट और बादशाही मस्जिद के बीच मौजूद है और यह तवा चिकन, मटन चॉप्स एवं नान के लिए पीसिद्ध है। रेस्त्रां को वे अपनी पत्नी सिलवट और 6 बच्चों के साथ चलाते हैं। अपनी लोकप्रिय डिशेस के आलावा उनका रेस्तरां यहां मौजूद हिंदू, जैन और बौद्ध मूर्तियों के लिए अधिक जाना जाता है। अब तो इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं और यह यहाँ का एक दर्शनीय स्थल ही बन गया है|  

यह जानना भी रोचक है कि हुसैन ने अपना यह अनोखा संग्रह कैसे इकठ्ठा किया। हुसैन पिछले 25 साल से लाहौर और आसपास के ऐसे मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थानों से जो  खंडहरों में तब्दील हो चुके हैं, वहां से मूर्तियां इकट्ठा करते रहे हैं। कुछ मूर्तियां उन्होंने स्थानीय लोगों से खरीदी भी हैं। 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने के बाद, पाकिस्तान में कई मंदिर उत्तेजित लोगों के निशाने पर आ गए थे, ऐसे मंदिरों से वे मूर्तियां लाते रहे। उस दौरान पाकिस्तान में कट्टरपंथियों ने 300 से ज्यादा मंदिर नष्ट कर दिए थे। लाहौर के प्रसिद्ध भैरो, जैन, दुर्गा और शिव मंदिरों को भीड़ ने तबाह कर दिया था, उनकी मूर्तियो को तोड़ दिया गया था और मंदिर की जमीन पर कब्जा कर लिया था। ऐसे माहौल में इन मूर्तियों को इकट्ठा करना बहुत मुश्किल काम था, जिसे हुसैन ने अपनी हिम्मत और कलाप्रेम के चलते अंजाम दिया | इसी तरह अब भी वे मूर्तियां इकट्ठी कर रहे हैं।

हुसैन का कलेक्शन को देखने के लिए दुनिया के कई हिस्सों से कई प्रमुख लोग भी यहां आये हैं। सीनियर भाजपा नेता एल.के. आडवाणी, फिल्म डायरेक्टर महेश भट्ट, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, मलाइका अरोड़ा खान और गायक हरिहरन जैसे भारतीय नामचीन लोग भी यहां आ चुके हैं। हुसैन को कट्टरपंथियों से लगातार धमकियां भी मिलती हैं, फिर भी वे इस काम में जुटे हुए हैं । मेल टुडे को हुसैन ने यह भी बताया कि उनके इस शौक से चिढ़ने वाले लोगों ने उन्हें जान से मार देने की धमकी भी दी है । हुसैन का कहना है, 'मैं कला प्रेमी हूं और ये मूर्तियां कला और संस्कृति का खूबसूरत नमूना हैं । इस बात का मजहब से कोई सम्बन्ध नहीं है; मेरे लिए कला ही मेरी जिंदगी है।'

'कुकूज़ डेन' नाम का हुसैन का 'रेस्तरां-कम-म्यूजियम' रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट हीरा मंडी में ही हैं । हुसैन एक अच्छे chitrakar भी है और उनके चित्रों का mukhya विषय ज्यादातर हीरा मंडी की महिलाओं पर केंद्रित रहता है । अब तक वे करीब 500 पेंटिग्स बना चुके हैं और उनकी एक पेंटिंग amunan 10 से 15 लाख रुपये में बिकती है। हुसैन ने नैशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स लाहौर से स्नातक की डिग्री ली है | बाद में 27 साल तक इसी कॉलेज में फाइन आर्ट्स के शिक्षक भी रहे। फिर उन्होंने कुकूज़ डेन शुरू किया | शुरू में ज्यादा लोग नहींं आते थे, मगर आज यह लाहौर के सबसे महंगे रेस्तरां में से एक है और यहाँ अक्सर सिलेब्रिटीज आते रहते हैं । हुसैन सार्क (SAARC) फेस्टिवल के लिए 1986 में नई दिल्ली भी आए थे । वे पटियाला और मलेरकोटला भी घूमना चाहते हैं, जहां कभी उनकी मां रहती थीं ।

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