तीसरे ट्रायल में देरी से पहुंची टेल्गो, खराब सिग्नल बनी वजह
तीसरे ट्रायल में देरी से पहुंची टेल्गो, खराब सिग्नल बनी वजह
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कोटा : सोमवार की रात को दिल्ली से मुंबई रुट पर स्पेन की टेल्गो ट्रेन कोचों का तीसरा ट्रायल किया गया। दिल्ली से ट्रेन को 7.55 में रवाना किया गया, जिसे 12,20 बजे कोटा पहुंचना था, लेकिन ट्रेन 32 मिनट देरी से पहुंची। जिसका कारण वीक सिग्नल को बतया गया। मथुरा से पहले भूतेश्वर में ट्रेन खराब सिग्नल के कारण 34 मिनट तक खड़ी रही।

राजधानी एक्सप्रेस दिल्ली से कोटा 4.30 घंटे में पहुंचती है, जब कि टैल्गो ने यही दूरी 4.15 घंटे में तय की। कोटा में जब टैल्गो रुकी, तो उसे देखने के लिए स्टेशन पर लोगों का हुजुम लग गया। अगला ट्रायल 3 और 5 अगस्त को होगा। 70 साल पुरानी इस टेल्गो कंपनी को हाइ स्पीड वाली 350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाले डिब्बे बनाने में महारत हासिल है।

इन डिब्बों की खासियत ये है कि ये घुमावदार मोड़ पर भी आसानी से चल सकते है। इनमें भारतीय रेल के मुकाबले आधे से भी कम डिब्बे लगे है। भारतीय रेल में आठ चक्के लगते है, जब कि इनमें केवल दो चक्के है। भारतीय रेल डिब्बों के 68 टन के वजन के मुकाबले ये महज 16 टन के ही होते हैं, लेकिन इनकी कीमत भारतीय रेल डिब्बों के मुकाबले तीन गुने ज्यादा है।

वजन कम होने के कारण यह 30 प्रतिशत तक पावल सेविंग भी करेगी। अनुमान के अनुसार, 1 ट्रेन सालभर में 1 करोड़ रुपए की बचत करेगी। इसका इंटीरियर भी लग्जरी है। सीट हवाई जहाज की तरह है। लेग स्पेस अधिक है और इंटरटेनमेंट के लिए एलईडी है। पूरी ट्रेन में 336 यात्री बैठ सकते हैं। डाइनिंग के लिए अलग से स्पेस है।

टैल्गो में आग लगने का कोई खतरा नहीं है। पैन्ट्री कार में ज्वलनशील गैस की जगह माइक्रोवेव और खाना पकाने की अन्य तकनीकों का इस्तेमाल होगा। हादसा होने पर इस ट्रेन के डिब्बे एक-दूसरे पर नहीं चढ़ेंगे, क्योंकि प्रत्येक व्हील में डिस्क ब्रेक है। कोच में सीढ़ी की जगह रैम्प होगी, जिससे विकलांगों को परेशानी नहीं होगी।

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