डिजिटल युग में इलेक्ट्रॉनिक मशीनों पर उठे सवाल
डिजिटल युग में इलेक्ट्रॉनिक मशीनों पर उठे सवाल
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नई दिल्ली: जब देश डिजिटल होने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है तो इन तमाम व्यवस्थाओं पर फिर से सवाल उठ रहे हैं। फिर से बैलेट पेपर की बात हो रही है। ईवीएम की विश्वसनीयता खतरे में बताई जा रही है और डाटा हैकिंग से लेकर मशीनों के गलत इस्तेमाल और ब्लू टूथ के जरिये इन पर नियंत्रण कर लेने के किस्से सामने आ रहे हैं।

वही चुनाव के दौरान एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम या वीवीपैट जैसी आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक मशीनों पर सवाल उठे हैं. चुनाव आयोग के दावों  के मुताबिक दोनों मशीनों की जांच के बाद आंकड़े सौ फीसदी सही आए। लेकिन भाजपा विरोधियों ने हार का ठीकरा फोड़ने के लिए पहले से ही ये तैयारी कर रखी थी कि भाजपा ने मशीनों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां कराई हैं। 

आपको बता दे कि चुनाव आयोग से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक पहले ईवीएम पर हजारों करोड़ रुपए खर्च किए गए, अब वीवीपैट पर 3174 करोड़ रुपए खर्च किए गए। अब 2019 के चुनाव के लिए पब्लिक सेक्टर की दो कंपनियों बीईएल और ईसीआईएल को ऐसी 16 लाख मशीनें बनाने के ठेके दिए गए हैं।

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