नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम यानी अफस्पा के नियमों के कारण अक्सर विवाद होता है.इसे लेकर कई बार प्रदर्शन भी हुए हैं. अफस्पा के जरिए सेना को जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में विशेष अधिकार मिले हुए हैं .इसे देखते हुए केंद्र सरकार अफस्पा के नियमों में बदलाव करने पर विचार कर रही है, ताकि इसे और भी मानवीय बनाया जा सके.
उल्लेखनीय है कि अफस्पा वर्ष 1958 में पहली बार तब अस्तित्व में आया था जब नागा उग्रवाद पर नियंत्रण करने के लिए आर्मी के साथ राज्य और केंद्रीय बल को गोली मारने, घरों की तलाशी लेने के साथ ही उस प्रॉपर्टी को अवैध घोषित करने का आदेश दिया गया था. तब से यह लागू है . इसे खत्म करने के लिए शर्मिला इरोम ने कई साल तक अनशन किया था.
बता दें कि अफस्पा के दुरुपयोग को रोकने के लिए केंद्र सरकार इसमे कुछ बदलाव करने के लिए इसके कुछ प्रावधानों को कमजोर बनाने को लेकर उच्च स्तरीय बातचीत चल रही है.ख़ास तौर से अफस्पा की धारा 4 व 7 पर सरकार मुख्य रूप से चर्चा कर रही है, जिसके तहत सेना को आतंकविरोधी अभियान में असीमित व कानूनी सुरक्षा मिल जाती है.धारा 4 के तहत जब सुरक्षाबल किसी भी परिसर की तलाशी लेते हैं तो उन्हें किसी को गिरफ्तार करने के लिए किसी भी वारंट की जरूरत नहीं होती है, इस नियम के तहत सुरक्षाबल किसी भी स्तर तक अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं.इसके दुरूपयोग की अक्सर शिकायतें आती है.इसलिए बदलाव पर विचार किया जा रहा है.
यह भी देखें
भारतीय सेना ने 138 पाकिस्तानी जवान मारे
कश्मीर में आतंकियों के 11 मददगार गिरफ्तार