तुलसी के स्वास्थ्य प्रदान करने वाले गुणों के कारण इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि इसका पूजन किया जाने लगा. तुलसी सिर्फ बीमारियों पर ही नहीं, बल्कि मनुष्य के आंतरिक भावों और विचारों पर भी अच्छा प्रभाव डालती है.
हिक्काज विश्वास पाश्र्वमूल विनाशिन. पितकृतत्कफवातघ्नसुरसा: पूर्ति: गन्धहा..
सुरसा यानी तुलसी हिचकी, खांसी, जहर का प्रभाव व पसली का दर्द मिटाने वाली है. इससे पित्त की वृद्धि और दूषित वायु खत्म होती है. यह दूर्गंध भी दूर करती है.
तुलसी कटु कातिक्ता हद्योषणा दाहिपित्तकृत.दीपना कृष्टकृच्छ् स्त्रपाश्र्व रूककफवातजित..
तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली दिल के लिए लाभकारी, त्वचा रोगों में फायदेमंद, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और मूत्र से संबंधित बीमारियों को मिटाने वाली है. यह कफ और वात से संबंधित बीमारियों को भी ठीक करती है.
त्रिकाल बिनता पुत्र प्रयाश तुलसी यदि.विशिष्यते कायशुद्धिश्चान्द्रायण शतं बिना..
तुलसी गंधमादाय यत्र गच्छन्ति: मारुत.दिशो दशश्च पूतास्तुर्भूत ग्रामश्चतुर्विध..
यदि सुबह, दोपहर और शाम को तुलसी का सेवन किया जाए तो उससे शरीर इतना शुद्ध हो जाता है, जितना अनेक चांद्रायण व्रत के बाद भी नहीं होता. तुलसी की गंध जितनी दूर तक जाती है, वहां तक का वातारण और निवास करने वाले जीव निरोगी और पवित्र हो जाते हैं.