बीजेपी सरकार पर गिरी गाज, अपने ही मंत्री ने खोली पोल
बीजेपी सरकार पर गिरी गाज, अपने ही मंत्री ने खोली पोल
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गुजरात. बीजेपी पार्टी पर उनकी ही पार्टी के लोग गाज गिराने से बाज नहीं आ रहे. कभी कोई ऐसा विवादित बयान दें देता है जिससे पार्टी कि गरिमा पर बुरा असर पड़ता है. 

इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर वार करने वाले कोई और नहीं बल्कि गुजरात की बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री रह चुके हैं. हम बात कर रहे हैं  सुरेश मेहता कि जो अक्टूबर 1995 से सितंबर 1996 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे थे. नरेंद्र मोदी को जब केशुभाई पटेल की जगह गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया तो मेहता उनके मंत्रिमंडल में थे

मेहता के अनुसार गुजरात की बीजेपी सरकार किसान विरोधी और कार्पोरेट हित वाले फैसले लेती रही है. एक इंटरव्यू में सुरेश मेहता ने दावा किया कि “गुजरात में इस बार विकास का गुजरात मॉडल नहीं बिकेगा…गुजरात मॉडल केवल शब्दों की बाजीगरी है. इन्होंने कहा कि गुजरात की बीजेपी सरकार किसानों की छूट कम करने के साथ ही अडानी और अंबानी जैसे कारोबारियों को फायदा पहुँचाने वाली ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल सेक्टर में छूट बढ़ाती जा रही है.

मेहता ने दावा किया कि गरीब और आम लोगों को प्रभावित करने वाला खाद्य एवं आपूर्ति का बजट भी बीजेपी सरकार ने 130 करोड़ रुपये से घटाकर 52 करोड़ रुपये कर दिया. मेहता ने आरोप लगाया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लिए भी नर्मदा परियोजना फंड से पैसा दिया जा रहा है. 

मेहता ने पूछा कि सरकार सिंचाई और किसानों के हित के लिए बनाए गए फंड का पैसा मूर्ति बनाने में कैसे खर्च कर सकती है? मेहता ने नरेंद्र मोदी को घेरते हुए कहा कि उनसे शीर्ष पर आने से पहले बीजेपी अलग तरह की पार्टी थी. मेहता ने द वायर से कहा कि उन्होंने नरेंद्र मोदी से साल 2002 में शुरू हुए मतभेदों के चलते ही साल 2007 बीजेपी छोड़ी थी.

सुरेश मेहता कहा, “साल 2004 में भारत के नियंत्रक और महालेखा परिक्षक (कैग) ने गुजरात की वित्तीय स्थिति की समीक्षा की थी. उस समय राज्य सरकार पर चार से छह हजार करोड़ के बीच कर्ज था. इसलिए कैग ने राज्य को आगाह किया था कि वो कर्ज की दुष्चक्र में न फंसे. लेकिन सरकार ने कैग की बात को नजरअंदाज किया.

राज्य सरकार द्वारा पेश किए गये ताजा बज़ट के अनुसार साल 2017 में गुजरात पर कर्ज बढ़कर  एक लाख 98 हजार करोड़ हो चुका है. ये मेरे आंकड़े नहीं हैं. ये सरकार के अपने आंकड़े हैं. जिसे फरवरी 2017 में राज्य सरकार ने गुजरात फिस्कल रिस्पांसबिलिटी एक्ट 2005 के तहत जारी बयान में घोषित किया गया.”

 

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