9 साल की बच्ची है लाइब्रेरियन, बच्चों को रहता है मुस्कान का इंतजार
9 साल की बच्ची है लाइब्रेरियन, बच्चों को रहता है मुस्कान का इंतजार
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भोपाल : पाकिस्तान की रहने वाली मलाला ने शिक्षा के प्रति अपनी लगन इतनी बढ़ाई कि सबसे कम उम्र की नोबेल विजेता बन गई, अब 9 साल की एक छोटी सी बच्ची ने लाइब्रेरी चलाने की ठानी है। भोपाल की रहने वाली मुस्कान अहिरवार, तीसरी क्लास में पढ़ती है। छोटी-छोटी गलियों के बीच है मुस्कान का बाल पुस्तकालय।

भोपाल के अरेरा हिल्स स्थित शिक्षा केंद्र के पीछे एक स्लम एरिया है, जहाँ मुस्कान यह बाल पुस्तकालय चलाती है। इस छोटी सी परी की लाइब्रेरी में जितनी भी किताबें है, वो उसे राज्य शिक्षा केंद्र ने उपलब्ध कराया है। हर रोज शाम को 4 बजे लाइब्रेरी खुलती है।

यहां आने वाले बच्चे भी उतनी ही लगन से किताबें पढ़ते है और मुस्कान के आने का इंतजार करते है कि कब वो आए और लाइब्रेरी खोले, ताकि वे सब अपनी मनपसंद किताब पढ़ सके। इस पुस्कालय में 119 किताबें है। दरअसल यह लाइब्रेरी तब खुली, जब दिसंबर 2015 में राज्य शिक्षा बोर्ड ने स्लम एरिया में विजिट करने आई थी।

उन्होने बच्चों को 25 किताबें बांटी और बच्चों को उन किताबों को पढ़ने को कहा गया। इसके बाद एक प्रश्नोत्तरी राउंड हुआ, जिसमें मुस्कान ने जीत हासिल की। विजिट करने आई टीम मुस्कान से इतनी खुश हुई कि उसे लाइब्रेरी चलाने और बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दे दी गई।

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