अब तक की 5 सबसे बड़ी महामारी जिन्होंने ने पूरी दुनिया में मचाई थी तबाही
अब तक की 5 सबसे बड़ी महामारी जिन्होंने ने पूरी दुनिया में मचाई थी तबाही
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विश्व इतिहास में कई महामारियाँ हुई हैं, जो मानवता के लिए एक बड़ा मानवीय और सामाजिक मुद्दा बन गई हैं। इस लेख में, हम आपको अब तक की पांच सबसे बड़ी महामारियों के बारे में विस्तार से बताएंगे और उनके प्रभावों पर ध्यान देंगे।

1. इंफ्लुएंजा (पेशी ज्वर): इंफ्लुएंजा, जिसे पेशी ज्वर भी कहा जाता है, एक ऐसी सामान्य वायरल इन्फेक्शन है जो नाक, गले, और फेफड़ों को प्रभावित करती है। यह एक बहुत ही संक्रामक बीमारी है और मौसम के बदलने के साथ ही प्रसारित होती है।

प्रभाव: इंफ्लुएंजा भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। 1918 में एक बड़ी महामारी के रूप में जानी जाती है, जिसे स्पेनिश फ्लू कहा जाता है। यह महामारी विशेष रूप से युद्ध के समय दुनिया भर में फैली और लाखों लोगों की मौत का कारण बनी।

2. ब्लैक डेथ (काला मौत): ब्लैक डेथ एक भयानक बुखार है जिसे यूरोप में 14वीं शताब्दी में प्रसारित हुआ। इस बीमारी का कारण यातायात करने वाले पशुओं से मक्खी के काटने से होता है।

प्रभाव: ब्लैक डेथ की परम्परा में से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इस महामारी के कारण लगभग 75 से 200 मिलियन लोगों की मौत हुई। इससे इतनी बड़ी मौत देखने को सदियों बाद भी नहीं मिली है।

3. स्वाइन फ्लू (हिन्दी में सूअर का ज्वर): स्वाइन फ्लू एक अत्यंत संक्रामक बीमारी है जो वायरसों के कारण होती है। इस वायरस का प्राथमिक आकार सूअरों में पाया जाता है। इस बीमारी को मनुष्यों में भी प्रसारित किया जा सकता है।

प्रभाव: स्वाइन फ्लू की पहली घातक महामारी 2009 में देखी गई थी, जब पूरी दुनिया में इससे लाखों लोग प्रभावित हुए थे। इससे कई हजार लोगों की मौत हुई और सामाजिक और आर्थिक तबाही का कारण बना।

4. एचआईवी/एड्स: एचआईवी (HIV) एक वायरस है जो मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को नष्ट करता है। यह एड्स (AIDS) का कारण बनता है, जो एक गंभीर और लाइफ-थ्रेटनिंग संक्रामक रोग है।

प्रभाव: एचआईवी/एड्स महामारी द्वारा दुनिया भर में लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। इससे युवा जनरेशन को सबसे ज्यादा प्रभावित किया जाता है और इसका इलाज अभी तक मौजूद नहीं है।

5. कोविड-19: कोविड-19 एक व्यापक महामारी है जो कोरोनावायरस के कारण होती है। यह एक संक्रामक बीमारी है जो नाक, गले, और फेफड़ों को प्रभावित करती है।

प्रभाव: कोविड-19 ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है और लाखों लोगों की मौत का कारण बना है। इस महामारी ने आर्थिक, सामाजिक, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा की हैं और वैश्विक मानवीय विकास को ठेस पहुंचाई है।


इंफ्लुएंजा: इंफ्लुएंजा (पेशी ज्वर) एक आम वायरल बीमारी है जो उपपेशियों में फैलती है। यह वायरस मुख्य रूप से नजला, खांसी, शरीर में दर्द, थकान और बुखार के लक्षणों के साथ प्रकाशित होता है। इस लेख में हम इंफ्लुएंजा के लक्षण, बचाव और संक्रमण के बारे में विस्तार से जानेंगे।

इंफ्लुएंजा के लक्षण
इंफ्लुएंजा के लक्षण आमतौर पर अचानक शुरू होते हैं और तेजी से बढ़ते हैं। कुछ मुख्य लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

तेज बुखार (आमतौर पर 38°C या उससे अधिक)
शरीर में दर्द और मुख्य गर्दन के पीछे दर्द
नजला और जुकाम
खांसी
थकान और अत्यधिक थकावट
शरीर का दर्द
मतली या उल्टी की भावना
शरीर में ठंड लगना

इंफ्लुएंजा संक्रमण के तरीके: इंफ्लुएंजा वायरस संक्रमण काफी संक्रामक होता है और इंसान से इंसान तक फैल सकता है। ये कुछ साधारण तरीके हैं जिनके माध्यम से संक्रमण फैलता है:

संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना: इंफ्लुएंजा वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है। जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो वायरस वातावरण में छिड़कता है और आसानी से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है।

संक्रमित सतहों से संपर्क: संक्रमित सतहों से संक्रमण फैलता है, जिनमें वायरस की मौजूदगी होती है। इसलिए, सार्वजनिक स्थानों पर, जैसे कि बस स्टैंड, रेल्वे स्टेशन, अस्पतालों, और स्कूलों आदि में बचाव के लिए सावधान रहना चाहिए।

इंफ्लुएंजा से बचाव: इंफ्लुएंजा संक्रमण से बचाव करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं:

हाथ धोना: नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोना एक अच्छा बचाव उपाय है। हाथों को साफ रखकर संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।

मुंह और नाक को ढ़कना: जब आप कुछ छींकते हैं या खांसते हैं, तो अपने मुंह और नाक को एक टिश्यू या अपने कोहनी के सामरिक भाग से ढ़क लेना चाहिए। इससे वायरस की संचरण को रोका जा सकता है।

स्वस्थ रहना: अपनी शारीरिक सुरक्षा के लिए, स्वस्थ रहना महत्वपूर्ण है। यह आहारपदार्थों के सही सेवन, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, और तंबाकू और अल्कोहल से दूरी बनाए रखने के माध्यम से संभव है।

ब्लैक डेथ: एक भयंकर महामारी: ब्लैक डेथ, जिसे बुबोनिक प्लेग भी कहा जाता है, एक भयंकर महामारी है जो मध्ययुगीन काल में यूरोप को थप्पड़ संघर्ष का सामना करना पड़ा। यह महामारी बैक्टीरिया यर्सीनिया पेस्टिस के कारण होती है, जो बिच्छू के काटने से फैलता है। इस महामारी के कारण लाखों लोगों की मौत हो गई थी। यह एक जीवनघातक बीमारी होती है और तुरंत चिकित्सा की जरूरत होती है।

ब्लैक डेथ के लक्षण: ब्लैक डेथ के लक्षण इनमें से कुछ हो सकते हैं:

बुबों की उत्पत्ति: ब्लैक डेथ के सबसे पहले लक्षण में गांठों की उत्पत्ति होती है। ये गांठें आमतौर पर बड़ी होती हैं और तीव्र दर्द और सूजन के साथ प्रकट होती हैं।

तेज बुखार: ब्लैक डेथ के मरीजों में तेज बुखार का विकास होता है। यह बुखार अचानक आता है और लंबे समय तक बना रहता है।

अत्यधिक थकान: मरीजों में अचानक होने वाली अत्यधिक थकान एक अन्य लक्षण हो सकती है। यह थकान इतनी होती है कि रोजमर्रा की गतिविधियों को करना मुश्किल हो जाता है।

ब्लैक डेथ संक्रमण से बचाव: ब्लैक डेथ संक्रमण से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:

स्वच्छता: स्वच्छता का ध्यान रखें और नियमित रूप से हाथ धोते रहें। अपने साथी कोहनी और मुँह को वाशिंगटन या साबुन के साथ धोएं।

बुखार और दर्द के लक्षणों का ध्यान रखें: यदि आपको अचानक तेज बुखार, दर्द या अनुभव हो रहा है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।

संपर्क से बचें: ब्लैक डेथ संक्रमण उपचार नहीं किया जाए तो यह छलनी मार्ग से फैल सकता है। इसलिए, विचारशीलता बनाए रखें और संपर्क से बचें।

स्वाइन फ्लू क्या है?: एस्वाइन फ्लू एक संक्रामक रोग है जो प्राथमिकता से सूअरों में पाया जाता है। यह वायरस (एच1एन1) द्वारा होता है और मनुष्यों में भी प्रसारित हो सकता है। यह बीमारी अनुकरणीय होती है और संपर्क से फैलती है। इसके लक्षण, बचाव और संक्रमण के बारे में नीचे दिए गए हैं:

लक्षण
बुखार: अचानक उच्च तापमान के साथ तेज बुखार का अनुभव होता है।
सर्दी और खांसी: जुकाम, नाक से पानी या बलगम का निकलना, खांसी और घातक दर्द के साथ साथ दमा का अनुभव हो सकता है।
थकान: असामान्य थकान, कमजोरी और शारीरिक दर्द के लक्षण हो सकते हैं।
श्वास की समस्या: सांस लेने में कठिनाई या तेजी से सांस लेने में असामर्थ्य के लक्षण हो सकते हैं।
पेट की समस्या: उल्टी, दस्त, पेट में दर्द और पेट में अपच जैसे पेट संक्रमण के लक्षण दिख सकते हैं।

बचाव
हाथों को धोएं: नियमित रूप से हाथों को साबुन और पानी से धोने का उपयोग करें।
मुख को ढ़कें: खांसते और छींकते समय मुंह को ढ़कें या तिस्स्य का उपयोग करें।
स्वच्छता का ध्यान रखें: स्वच्छता और नियमित हाथ धोने के माध्यम से संक्रमण से बचें।
खांसी और छींक को रोकें: यदि आप खांसी या छींक आता है, तो मुंह को ढ़कें और अन्य लोगों से थोड़ी दूरी बनाएं।
टीकाकरण: स्वाइन फ्लू के खिलाफ टीकाकरण करवाएं जब यह उपलब्ध हो। यह आपको संक्रमण से बचाने में मदद कर सकता है।

संक्रमण: एस्वाइन फ्लू का संक्रमण मुंह, नाक और आंखों से हो सकता है। यह नाक से खांसते या छींकते समय छोटे बूंदों में वायरस के रूप में प्रसारित होता है। इसके लिए संपर्क से बचें, व्यक्ति के बीमार होने पर उचित सावधानी बरतें और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

एचआईवी/एड्स क्या है?: एचआईवी (मानव इम्यूनोडिफ़िशंसी वायरस) एक संक्रामक रोग है जो मनुष्य के इम्यून सिस्टम को नष्ट करता है। यह वायरस एक रक्तसंपर्कीय संक्रमण है और मुख्य रूप से अपराधियों के बीच लवचौरी के द्वारा फैलता है। एचआईवी संक्रमण के लक्षण, बचाव और संक्रमण के बारे में नीचे दिए गए हैं:

लक्षण
तेज बुखार: अचानक उच्च तापमान और बुखार का अनुभव होता है।
वजन कमी: बिना किसी कारण के वजन का तेजी से घटना और कमजोरी के लक्षण हो सकते हैं।
त्वचा समस्याएं: खालीला हो जाना, दानेदार घाव, चकत्ते, चर्मरोग, खुजली और छाले जैसी स्किन समस्याएं दिख सकती हैं।
सांस लेने में कठिनाई: सांस लेने में कठिनाई, यातायात करने में परेशानी और थकान के लक्षण हो सकते हैं।
रक्तस्राव: अनुवंशिक रक्तस्राव, नाक से रक्तस्राव, मसूड़ों से रक्तस्राव, वर्गों के बीच रक्तस्राव और यौन संपर्क के बाद रक्तस्राव के लक्षण हो सकते हैं।

संक्रमण
एचआईवी/एड्स संक्रमण वायरस के व्यक्ति के रक्त, वीर्य, स्तनों के दूध, जननांगों के तरल और अन्य शरीर के तत्वों के माध्यम से फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर में वायरस विशेषकर मनुष्य के रक्त में मौजूद होता है। जब यह वायरस किसी अन्य व्यक्ति के साथ संपर्क में आता है, तो यह संक्रमित व्यक्ति को भी प्रभावित कर सकता है।

बचाव
सुरक्षित संभोग: नियमित अपने साथी के साथ सुरक्षित संभोग करें और कंडोम का उपयोग करें।
नई सुरंगों का इस्तेमाल न करें: शर्त और उपयोग की दरारी वाली सुरंगों का उपयोग न करें।
नियमित टीकाकरण: एचआईवी के खिलाफ उपलब्ध टीकाकरण करवाएं।
नियमित जांच: नियमित अंतराल पर एचआईवी की जांच करवाएं और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
संज्ञान करें और जागरूक रहें: एचआईवी संबंधित जानकारी प्राप्त करें, जागरूक रहें और संबंधित समुदाय के साथ सहयोग करें।

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