370 फिर लागू हो..! सुप्रीम कोर्ट में जोर लगा रहे कपिल सिब्बल, राम मंदिर और CAA-NRC का कर चुके हैं विरोध
370 फिर लागू हो..! सुप्रीम कोर्ट में जोर लगा रहे कपिल सिब्बल, राम मंदिर और CAA-NRC का कर चुके हैं विरोध
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नई दिल्ली: कपिल सिब्बल, वकालत की दुनिया में एक ऐसा नाम, जो कई जजों से भी पुराने हैं। वे अपने कार्यकाल में भारत के कई मुख्य न्यायाधीश (CJI) भी देख चुके हैं। कई अहम मामलों में या यूँ कहें की विवादित मामलों में कपिल सिब्बल (Kapil Sibal Controversial Cases) अक्सर सुप्रीम कोर्ट में बहस करते नज़र आते रहे हैं। अब एक बार फिर वकील और राज्यसभा सांसद सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में पूरा जोर लगा रहे हैं कि, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 वापस लागू हो जाए और अदालत, भारत सरकार के फैसले को असंवैधानिक घोषित कर दे। बता दें कि, सिब्बल, 40 सालों तक कांग्रेस के अहम सदस्य रहे हैं, लेकिन जब उन्होंने पार्टी में संगठनात्मक परिवर्तन की मांग उठाई तो, कांग्रेस के ही कार्यकर्ताओं ने उनके घर पर पथराव कर दिया और दुखी मन से सिब्बल को पार्टी छोड़नी पड़ी। इसके बाद वे समाजवादी पार्टी (सपा) की मदद से राज्यसभा पहुंचे। हालाँकि, 370 को लेकर सिब्बल का वही रुख है, जो कांग्रेस और सपा जैसी विचारधारा वाली पार्टियों का है। ये दल भी 370 को वापस लागू करने के पक्ष में हैं। 

अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय में आज गुरुवार को दूसरे दिन की सुनवाई हो रही है। सुनवाई करने वाले पांच जजों में प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एस के कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल (Kapil Sibal Controversial Cases) ने दलील दी कि अनुच्छेद 370 को छेड़ा ही नहीं जा सकता है। इसके जवाब में जस्टिस खन्ना ने कहा कि इस आर्टिकल का सेक्शन (c) तो ऐसा नहीं कहता। इसके बाद सिब्बल ने कहा कि मैं आपको दिखा सकता हूं कि आर्टिकल 370 संविधान में एक स्थायी व्यवस्था है। बता दें कि, अनुच्छेद 370 पर शीर्ष अदालत में 3 साल बाद सुनवाई हो रही है। इससे पहले, 2020 में 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने इस मामले की सुनवाई हुई थी। तब अदालत ने कहा था कि हम मामला बड़ी संवैधानिक बेंच के पास भेज रहे हैं।

इससे पहले बुधवार को सुनवाई के दौरान CJI ने याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal Controversial Cases) से सवाल किया था कि क्या अनुच्छेद 370 खुद ही अपने आप में अस्थायी और ट्रांजिशनल है। क्या संविधान सभा के अभाव में संसद 370 को रद्द नहीं कर सकती? इस पर सिब्बल ने जवाब दिया था कि संविधान के अनुसार, जम्मू-कश्मीर से 370 को कभी भी नहीं हटाया जा सकता। उन्होंने अदालत में कहा कि आर्टिकल 370 के अनुसार, संसद केवल जम्मू कश्मीर सरकार के परामर्श लेकर ही वहां के लिए कानून बना सकती है। 370 को रद्द करने की शक्ति हमेशा जम्मू-कश्मीर विधायिका के हाथ में है। सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि पहले 370 अस्थायी था, मगर जब 1950 में संविधान सभा भंग हुई, तो ये अपने आप स्थायी अनुच्छेद बन गया। यदि इसे हटाना है तो संविधान सभा की अनुमति लेनी होगी, लेकिन आज संविधान सभा है ही नहीं, ऐसे में इसको किसी भी सूरत में हटाया नहीं जा सकता है।

दलितों के साथ सबसे बड़ा छलावा था 370:-

बता दें कि, जो कांग्रेस और सपा एक तरफ अपने आप को दलित हितैषी भी बताती है और 370 वापस लागू करने की बात भी करती है। वो ये अच्छी तरह जानती है कि, 370 दलितों के लिए कितना बड़ा छलावा था। अनुच्छेद 370 और 35 A के तहत राज्य में सालों से रह रहे दलितों, वंचितों को वहां की नागरिकता तक नहीं मिली थी, जिसके कारण ये लोग न तो घाटी में संपत्ति खरीद सकते थे, न विधानसभा चुनाव में वोट डाल सकते थे और सबसे गंभीर बात तो ये है कि, जम्मू कश्मीर में यह नियम था कि, दलितों की संतानें कितनी भी पढ़ लें, मगर फिर भी उन्हें मैला ही उठाना होगा, उन्हें नौकरी मिलेगी तो केवल सफाईकर्मी की, इसके अलावा नहीं। ये अपने आप में हैरान करने वाली बात है कि, 370 को वापस लागू करवाने की मांग करने वाली तथाकथित राजनितिक पार्टियां अपने आप को दलित हितैषी बताती हैं। यहाँ ये भी गौर करने वाली बात है कि, जहाँ कश्मीर में दलितों के साथ ये भेदभाव था, वहीं कोई भी पाकिस्तानी, कश्मीरी महिला से शादी करके वहां का नागरिक बन सकता था और तमाम लाभ ले सकता था। इसी कारण घाटी में आतंकवाद भी जमकर पनप रहा था। 

किन विवादित मामलों में कपिल सिब्बल ने की है पैरवी:-

अयोध्या मामले में बने सुन्नी वक़्फ बोर्ड के वकील:-

सिब्बल ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में भी मुस्लिम पक्ष की तरफ से मुकदमा लड़ा था और पूरा जोर लगाया था कि, विवादित जमीन मुस्लिमों को ही दी जाए और वहां मस्जिद बने। वो सिब्बल (Kapil Sibal Controversial Cases) ही थे, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस मामले की सुनवाई 2019 तक टाल दी जाए, क्योंकि इसका असर 2019 लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है। हालाँकि, सिब्बल यह मुकदमा हार गए थे और अदालत ने राममंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। इससे पहले सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट के मामले में भी कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में भगवान श्रीराम को काल्पनिक भी बता चुके हैं। 

तीन तलाक लागू करने के लिए लड़े सिब्बल :-

जब भारत सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को सुरक्षित करवाने के लिए एक बार में तीन तलाक़ (Instant Triple Talaq) पर बैन लगा था। तब भी सिब्बल (Kapil Sibal Controversial Cases) ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की तरफ से इसे वापस लागू करवाने सुप्रीम कोर्ट गए थे और इसे आस्था का मामला बताकर इसमें छेड़छाड़ न करने की बात कही थी। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट में उनकी दलीलें नहीं चलीं और तीन तलाक़ पर कानून बना। बता दें कि, जो सिब्बल, तीन तलाक़ को आस्था का मामला बता रहे थे, वही अयोध्या मामले को आस्था का मामला मानने से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे थे। 

CAA-NRC लागू करने का विरोध:-

पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश के पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने वाले कानून नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और अवैध बांग्लादेशियों-घुसपैठियों को देश से बाहर निकलने वाले राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का विरोध करते हुए भी कपिल सिब्बल (Kapil Sibal Controversial Cases) सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ चुके हैं। उनका कहना है कि, ये दोनों कानून लागू नहीं होने चाहिए, क्योंकि ये असंवैधानिक हैं। 

चारा घोटाले में लालू यादव को दिलाई जमानत:-

सालों तक चली सुनवाई में बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को अदालत ने चारा घोटाले में दोषी करार देते हुए जेल की सजा सुनाई थी। जिसमे अधिकतर समय लालू बीमार होने के नाम पर जेल में न रहकर अस्पताल में भर्ती रहे। लेकिन कपिल सिब्बल (Kapil Sibal Controversial Cases) ने हाई कोर्ट में यह कहकर उन्हें जमानत दिलवा दी कि, उन्होंने अपनी सजा के 45 महीने पूरे कर लिए हैं , जबकि लालू को 5 साल की सजा सुनाई गई थी। सिब्बल के कारण ही लालू हिरासत से बाहर आए थे। 

आज़म खान को दिलवाई राहत:-

समाजवादी पार्टी (सपा) के बड़े नेता आज़म खान जब, जौहर यूनिवर्सिटी के लिए जमीन कब्जाने सहित कई मामलों में फंस गए तो कपिल सिब्बल उनके लिए संकटमोचक बनकर सामने आए और सुप्रीम कोर्ट से जमानत दिलवाकर उन्हें जेल से बाहर करवाया। 

स्कूलों में हिजाब पहनने की भी कर रहे वकालत:-

गत वर्ष कर्नाटक का हिजाब मामला सबको याद ही होगा, जब कुछ मुस्लिम लड़कियों ने कक्षा के अंदर हिजाब पहनने की जिद पकड़ी थी। जबकि स्कूल, कॉलेज के प्रशासन का कहना था कि, शिक्षण संस्थानों में केवल यूनिफार्म ही चलेगा। कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी यूनिफार्म वाली बात को सही मानते हुए फैसला सुनाया था।  लेकिन, कपिल सिब्बल (Kapil Sibal Controversial Cases), मुस्लिम लड़कियों के वकील बनकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और उन्हें कक्षा के अंदर हिजाब-बुर्का पहनने देने की वकालत की। तीन तलाक़ को लागू करने की मांग करने वाले सिब्बल, यहाँ महिला सशक्तिकरण के साथ खड़े नज़र आए थे और कक्षा में हिजाब पहनने को आस्था का मुद्दा बताया था, वही आस्था जो उन्होंने राम मंदिर मामले में दरकिनार कर दी थी। शायद सिब्बल साहब को आस्था एक ही पक्ष में दिखती है, आश्चर्य नहीं होगा, यदि वे ज्ञानवापी मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में विरोध करते नज़र आएं।

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