26/11 आतंकी हमला, 175 लोगों की मौत, 400 पन्नों में आरोपी तहव्वुर राणा के गुनाहों का जिक्र, चार्जशीट दाखिल
26/11 आतंकी हमला, 175 लोगों की मौत, 400 पन्नों में आरोपी तहव्वुर राणा के गुनाहों का जिक्र, चार्जशीट दाखिल
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मुंबई: मुंबई पुलिस ने नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में शामिल होने के लिए पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा के खिलाफ यहां एक विशेष अदालत के समक्ष आरोप पत्र दाखिल किया है। राणा, जो इस समय संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में हिरासत में है, मुंबई हमलों में अपनी भूमिका के लिए कई आरोपों का सामना कर रहा है और उसे पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली से जुड़ा हुआ माना जाता है, जो 26/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 400 पन्नों से अधिक का आरोपपत्र, जो इस मामले में अब तक का चौथा है, मुंबई पुलिस की अपराध शाखा द्वारा सोमवार को अदालत की रजिस्ट्री के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। एक सरकारी वकील ने कहा कि सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद दस्तावेज़ मंगलवार को विशेष अदालत के समक्ष आने की संभावना है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, उन्होंने मामले में राणा के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) धारा 39 ए (आतंकवादी संगठन को समर्थन देने से संबंधित अपराध) जोड़ा है।

अधिकारी ने कहा कि, ''हमें बयानों और दस्तावेजों के रूप में राणा के खिलाफ कुछ नए सबूत मिले हैं।'' उन्होंने बताया कि यह मामले में चौथा आरोपपत्र है। देश के अधिकारियों के लिए एक बड़ी जीत में, एक अमेरिकी अदालत ने इस साल मई में 62 वर्षीय राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी। हालाँकि, अगस्त में, 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के लिए भारत में मुकदमे का सामना करने के लिए व्यवसायी के प्रत्यर्पण पर रोक का आदेश दिया गया था।

बता दें कि, 26 नवंबर, 2008 को जब पाकिस्तान से 10 आतंकवादी समुद्री मार्ग से आए और मुंबई में 60 घंटे से अधिक समय तक मौत का तांडव मचाया था, इस आतंकी हमले में कुल 175 लोग मारे गए थे। इस दौरान आतंकियों ने शहर के स्थलों, एक अस्पताल, एक यहूदी केंद्र और अन्य स्थानों को निशाना बनाया था। 10 आतंकवादियों में अजमल कसाब भी शामिल था, जिसे जिंदा पकड़ा गया था और बाद में उस पर मुकदमा चलाया गया और एक विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई। अदालत द्वारा मामले में दोषी ठहराए जाने के दो साल बाद नवंबर 2012 में उन्हें पुणे की यरवदा केंद्रीय जेल में फांसी दे दी गई थी।

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बता दें कि, पाकिस्तान की चाल थी कि, इस आतंकी हमले का दोष भारत के ही हिन्दुओं पर आए, इसलिए उसने आतंकियों के हाथ में 'कलावा' बांध दिया था और उनकी जेबों में हिन्दू नाम वाले ID कार्ड रख दिए थे। सभी आतंकियों को अधिक से अधिक लोगों को मारने के बाद खुद भी हमले में मर जाने का आदेश था, लेकिन कसाब को जिन्दा पकड़ लिया गया। हालाँकि, जांच होती, सच्चाई सामने आती, उससे पहले ही कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा 'हिन्दू आतंकवाद' शब्द उछाल दिया गया। यहाँ तक कि, कांग्रेस के दिग्गज नेता और रणनीतिकार दिग्विजय सिंह ने फिल्म निर्माता महेश भट्ट के साथ मिलकर 26/11 हमला- RSS की साजिश नाम से किताब लॉन्च कर दी।

यहाँ तक हिन्दुओं पर आतंकी हमले का दोष डालने का पाकिस्तानी प्लान सफल हो चुका था। लेकिन, जिन्दा पकड़े गए कसाब ने पूछताछ में कबूल लिया कि, 'उसे पाकिस्तान ने हूरों की लालच देकर भारत में जिहाद करने भेजा था।' कसाब के कबूलनामे का वीडियो आज भी यूट्यूब पर उपलब्ध है। उसके कबूलनामे के बाद पाकिस्तान का पूरा प्लान फेल हो गया और दिग्विजय द्वारा लॉन्च की गई किताब भी। हालाँकि, हिन्दू आतंकवाद शब्द उछालने और झूठी किताब लॉन्च करने के लिए कांग्रेस ने कभी माफ़ी नहीं मांगी।  

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